Supreme Court: मुल्लापेरियार डैम के मामले पर बोला कोर्ट, जल्‍द हो सुपरवाइजरी कमेटी का पुनर्गठन

Supreme Court: मुल्लापेरियार डैम को लेकर केरल और तमिलनाडु के बीच चल रहे विवाद पर सुनवाई हुई। इस बाबत गठित कमिटी को शीर्ष अदालत ने आज ज्‍यादा अधिकार दिए।

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Supreme Court: मुल्लापेरियार डैम को लेकर केरल और तमिलनाडु के बीच चल रहे विवाद पर सुनवाई हुई। इस बाबत गठित कमिटी को शीर्ष अदालत ने आज ज्‍यादा अधिकार दिए। सुप्रीम कोर्ट ने डैम के लिए बनाई गई सुपरवाइजरी कमेटी के पुनर्गठन करने का निर्देश भी दिया। दोनों राज्यों से एक एक टेक्निकल एक्सपर्ट को भी इसमे शामिल करने का निर्देश दिया।

इसके साथ ही डैम की सुरक्षा समेत सभी मसलों पर कमिटी के निर्देशों का पालन करने का आदेश पर जोर दिया। कोर्ट ने कहा कमिटी के आदेश का पालन करने के मामले को लेकर दोनों राज्यों के मुख्य सचिव जवाबदेह होंगे।

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Supreme Court: कोर्ट ने कहा बांध नियामक प्राधिकरण का गठन कराया जाए

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जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ मामले की सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने बांध नियामक प्राधिकरण का गठन कराने पर जोर दिया। कोर्ट का कहना था कि प्राधिकरण के बनने तब तक मुल्लापेरियार बांध पर बनी सुपरवाइजरी कमेटी इससे संबंधित सभी निर्णय ले सकती है।

इससे पूर्व हुई सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण को पूर्णरूप से कार्य करने में पूरा एक साल का समय लगेगा। वहीं इस पूरे मामले में केंद्रीय जल आयोग का पक्ष रखने वाले अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एश्वर्या भाटी का कहना था कि मौजूदा पर्यवेक्षी समिति को तब तक फिलहाल काम करना जारी रखना चाहिए।

Supreme Court: केरल सुरक्षा कारणों को हवाला देते हुए बांध निर्माण पर दे रहा जोर

केरल के इडुक्की जिले में पेरियार नदी पर बांध का निर्माण 1895 में हुआ था। बांध का संचालन तमिलनाडु सरकार सिंचाई और बिजली उत्पादन संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए करती है। केरल सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए एक नए बांध निर्माण पर जोर देता है जबकि तमिलनाडु सरकार का कहना है कि इसका ढांचा काफी मजबूत है।

पिछले माह के अंत में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोनों राज्यों को सलाह दी कि 126 साल पुराने बांध की देखरेख व संरचनात्मक सुरक्षा के मामले को पर्यवेक्षी समिति द्वारा निपटाया जा सकता है।

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