किसी ने सच ही कहा है….लमहों ने खता की , सदियों ने सजा पायी

भारत में मुगल बाहर से आए थे। जो गिनती में गिने चुने थे। लेकिन भारत के राजाओं की आपसी फूट का फायदा उठा राजा बन बैठे। फिर उन्होंने तलवारों के जोर पर अपने धर्म में यहीं के लोगों को शामिल करने का खेल शुरु किया। काफी लोग लालच से भी इस्लाम में शामिल हुए। इस्लाम का ज्यादा फैलाव हो इसके लिए हिंदुओं के प्राचीन मंदिरों को निशाना बनाया गया। हिंदू के प्राचीन मंदिर जो हिंदुओं के आराध्य राम – कृष्ण और महादेव के मंदिर थे उनको तोड़ कर उनको मस्जिद का रुप दे दिया गया।

मुगलों की ऐसी खता आज भी रह रह कर विवादों को जन्म देती है। इसका खामियाजा आज भी भारत की जनता भुगत रही है। हिंदू धर्म,  सर्व – धर्म – समभाव के सिद्धांत पर काम करता है। ऐसे में हिंदुओं के मन में उनके प्राचीन मंदिरों के तोड़े जाने को लेकर सदियों बाद भी गुस्सा है।

अय़ोध्या में भगवान राम की जन्म भूमि का विवाद भी सदियों तक चला। तथाकथित रुप से वहां बाबर के काल में श्री रामजन्म भूमि को तोड़ कर मस्जिद का रुप दिया गया था। तबसे हिंदू औऱ मुसलमान दोनों इसे अपनी अपनी जमीन बताते रहे। दोनों पक्षों के अड़ियल रवैये के कारण जब आपसी रजामंदी से समझौता नहीं हो सका तो कोर्ट को बीच में आना पड़ा। कोर्ट में भी यह मामला सालों साल चलता रहा। परंतु सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश श्री रंजन गोगोई ने इसकी लगातार सुनवाई कर मामले का हल निकाले जाने की वकालत की। जिसके बाद दोनों पक्षों ने तेजी दिखाते अपनी अपनी दलीलें पेश कीं। आखिर में यह सिद्ध हुआ कि मस्जिद की जमीन राम लला की ही है….और राम-मंदिर वहीं बनेगा।

अयोध्या का यह विवाद चूंकि कोर्ट ने सुलझा दिया तो अब बाकी जगहों से भी जो विवाद पहले से होते आ रहे था, वो अब कोर्ट की ओर उम्मीद लगाना शुरु कर दिया। अयोध्या के बाद अब मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मामला भी कोर्ट पहुंच गया है। श्री कृष्ण विराजमान ने मथुरा की अदालत में एक सिविल मुकदमा दायर कर 13.37 एकड़ की कृष्ण जन्मभूमि का स्वामित्व मांगा गया है और शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई है। ये विवाद भगवान श्रीकृष्ण विराजमान, कटरा केशव देव खेवट, मौजा मथुरा बाजार शहर’ के रूप में जो अगले दोस्त रंजना अग्निहोत्री और छह अन्य भक्तों ने दाखिल किया है। 

हालांकि, प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 इस मामले के आड़े आ रहा है. इस एक्ट के जरिये विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मुकदमेबाजी को लेकर मालकिना हक पर मुकदमे में छूट दी गई थी. अलबत्ता, मथुरा-काशी समेत सभी धार्मिक या आस्था स्थलों के विवादों पर मुकदमेबाजी से रोक दिया गया था। अभी कुछ दिन पहले प्रयागराज में अखाड़ा परिषद की बैठक में साधु-संत मथुरा कृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर चर्चा की थी। इसमें संतों ने काशी-मथुरा के लिए लामबंदी शुरू करने की कोशि‍श की।  अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन कराने वाले वृंदावन के मुख्य पंडित गंगाधर पाठक ने पूजा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की थी कि  वाराणसी में काशी विश्वनाथ एवं मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि भी मुक्त होना चाहिए। 

बहरहाल यह मामला अब लंबा खींचने की उम्मीद है। काश कोई ऐसी टाइममशीन होती जिससे भूतकाल में जा कर उस वक्त की गलतियों को सुधारा जा सकता तो ऐसे विवादों का हल अभी तलाशने की जरुरत ही नहीं होती।

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