सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को प्रमोशन में आरक्षण देने के प्रस्ताव पर मोदी सरकार आगे बढ़ने जा रही है। खबरों के मुताबिक, हाल ही में डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल ऐंड ट्रेनिंग ने एक रिपोर्ट पीएम नरेंद्र मोदी को सौंपी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि, सभी को बराबर के मौके मुहैया कराने और समावेशी विकास के लिए एससी-एसटी वर्ग को प्रमोशन में आरक्षण जारी रखना जरूरी है।
गौरतलब है कि साल 2006 में एम नागराजन केस में सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच के फैसले के आधार पर प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ कई न्यायिक आदेश पास हुए। इसके बाद इस मामले को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी की अगुआई में मार्च, 2016 में एक बैठक हुई, जिसके बाद कार्मिक विभाग से इस बारे में रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया था। 2006 में सुप्रीम कोर्ट बेंच के फैसले के मुताबिक सरकार को एससी-एसटी कर्मचारियों को प्रमोशन में रिजर्वेशन देने का अधिकार देने वाला संविधान का आर्टिकल 16 (4A) अनिवार्य नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, ये प्रावधान कुछ निश्चित शर्तों के साथ ही लागू किया जा सकता है। इन शर्तों में पिछड़ापन, प्रतिनिधित्व की कमी दूर करना और प्रशासनिक कार्यकुशलता को बेहतर करना शामिल हैं। इस रिपोर्ट को मोदी सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से निपटने की दिशा में उठाए गए कदम के तौर पर देखा जा रहा है। देश के विभिन्न अदालतों के फैसलों ने केंद्र और राज्य सरकारों के लिए एससी, एसटी को प्रमोशन में आरक्षण देना मुश्किल बना दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में एससी और एसटी के लिए 15 फीसदी और 7.5 फीसदी का कोटा ही पूरा नहीं हो पा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के कई कैडर में एससी और एसटी वर्ग के लोगों की हिस्सेदारी संविधान में उनके लिए तय सीमा से भी कम है इसलिए वक्त की मांग है कि जब तक आरक्षण तय सीमा तक न पहुंच जाए, उन्हें यह लाभ मिलता रहे।
कार्मिक विभाग ने इस मसले के लिए बनी मंत्रियों की उच्च स्तरीय समिति के सामने एक प्रजेंटेशन भी दिया था। इस समिति में गृह मंत्री और वित्त मंत्री समेत तमाम बड़े नेता मौजूद थे। बताया जा रहा है कि मंत्रियों की समिति से प्रमोशन में आरक्षण पर मुहर लगते ही प्रस्ताव मंत्रिमंडल के पास भेजा जाएगा। आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन की जरूरत होगी, इसलिए इससे संबंधित विधेयक पर मंत्रिमंडल की इजाजत लेनी होगी। इसके बाद संविधान संशोधन विधेयक संसद में पेश किया जाएगा।
आपको बता दें कि वर्तमान में किसी भी विभाग में होने वाली 14 नियुक्तियों में अनुसूचित जाति को मिलने वाले 15 फीसदी आरक्षण के हिसाब से दो पद आरक्षित रखे जाते हैं। जबकि वास्तविकता में निचले कैडर में अभी इस वर्ग के लोगों को केवल एक ही पद मिल रहा है। वहीं नए प्रस्ताव के मुताबिक अब निचले कैडर में इस वर्ग के कर्मियों के लिए भी प्रमोशन के दो पद आरक्षित रखने होंगे।