अवमानना के आरोपों का सामना कर रहे कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस सी एस कर्णन की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए जस्टिस कर्णन की मेडिकल जांच के आदेश दिए हैं। इसके लिए सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों की आठ सदस्यों वाली टीम का गठन किया गया है। साथ ही कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को पुलिस का एक दल गठित कर मेडिकल जांच के लिए जाने वाली टीम की सहायता सुनिश्चित करने का आदेश भी दिया गया है। इससे पहले 31 मार्च को हुई सुनवाई में कर्णन का अड़ियल रवैया जारी था  और उन्होंने माफ़ी मांगने और अपने आरोप वापस लेने से इंकार कर दिया था। उन्होंने खुद को मानसिक रूप से परेशान भी बताया था। जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें मेडिकल रिपोर्ट जमा कराने को कहा था। हालांकि आज सुनवाई के दौरान न वह खुद पेशी के लिए कोर्ट पहुंचे न ही मेडिकल रिपोर्ट जमा कराई।

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई कर रही प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने यह भी कहा कि पांच मई तक मेडिकल जांच होने के बाद 8 मई तक मेडिकल रिपोर्ट कोर्ट को मिल जानी चाहिए। इसके अलावा अगर जस्टिस कर्णन 8 मई तक कोर्ट में जवाब नहीं देते हैं तो यह मान लिया जायेगा की उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं है। इसके अलावा पीठ ने अपने पहले के आदेश का जिक्र करते हुए कहा कि देश की कोई भी अदालत, ट्रिब्यूनल और आयोग आठ फरवरी के बाद न्यायमूर्ति कर्णन द्वारा दिए गए आदेशों पर विचार ना करें।

गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए  जस्टिस सी एस कर्णन पर कोर्ट की अवमानना के मामले में जमानती वारंट  जारी किया था। कोर्ट ने उन्हें 31 मार्च तक अदालत में पेश होने का आदेश भी दिया था। जिसके बाद वह अदालत में पेश हुए थे। उनकी पेशी के बाद कोर्ट ने उन्हें 1 मई को होने वाली सुनवाई में पेश होने और अपना जवाब एक एफिडेविट के माध्यम से देने का निर्देश दिया था लेकिन उन्होंने ऐसा करने के बदले इस मामले की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस समेत अन्य पर मुकदमा चला दिया और उनके विदेश यात्रा पर भी रोक लगा दी थी। इस बाबत उन्होंने अपने घर की अदालत से ही आदेश जारी किया था

जस्टिस कर्णन पर अवमानना की यह कारवाई 20 जजों पर भ्रष्टाचार से जुड़े उनके आरोपों के बाद शुरू हुई है। इससे पहले उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र भेजा था। इस पत्र में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के कुछ जजों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। उन्होंने ऐसे 20 जजों के नामों की सूची भी प्रधानमंत्री को दी थी।

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