21वीं शताब्दी में भी कुछ ऐसे मिथक हैं जिनपर बड़े-बड़े दिग्गज भी विश्वास करते हैं। लेकिन उत्तराखंड के नए सीएम त्रिवेंद्र रावत ने मिथक का लिबास उतारते हुए अपने मुख्यमंत्री आवास में गृह-प्रवेश किया। नोएडा शहर की जुबान पर यह सवाल आ रहा है कि क्या योगी आदित्यनाथ भी नोएडा से जुड़े मिथक को दूर करने के लिए कोई रुख अपनाएंगे?
देहरादून के न्यू कैंट रोड स्थित यह बंगला शापित माना जाता है, लंबे अर्से से यह मानसिकता बनी हुई है कि मुख्यमंत्री बंगला मनहूस हैं और इस बंगले में कोई भी मुख्यमंत्री यदि अपना बसेरा डालता है तो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाता। यह बंगला 16 करोड़ के लागत से बना है और 10 एकड़ में फैला हैं मगर इसमें बंगले की बदनसीबी कहें या मुख्यमंत्रियों का कुर्सी खोने का डर कि वो बंगले में नहीं रहते।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी इस बंगले में रहने की बजाए राज्य सरकार के एक गेस्ट हाउस में रहते थे। दरअसल इससे पहले तीन मुख्यमंत्री इस बंगले में रहते हुए अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए थे जिनमें रमेश पोखरियाल निशंक (मई 2011 से सितंबर 2011), बीसी खंडूरी (सिंतबर 2011 से मार्च 2012) और विजय बहुगुणा (मार्च 2012 से जनवरी 2014) शामिल थे। और तभी इसके बाद से ही बंगले की मनहूसियत की अफवाहें यकीन में तब्दील हो गई। मगर नए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस मिथक को तोड़ने का साहस दिखाया और बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में गृह-प्रवेश किया।
उल्लेखनीय है कि ऐसा ही अपशुकनी होने का धब्बा यूपी के नोएडा शहर के माथे पर भी है। दिग्गजों का मानना है कि इस शहर में कदम रखने से मुख्यमंत्रियों की राजगद्दी चली जाती है। तभी पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने अपने पूरे कार्यकाल के दौरान नोएडा का दौरा कभी नहीं किया और लखनऊ से ही नोएडा पर रिमोट कंट्रोल बनाकर रखा।
नोएडा के बारे में कहा जाता है कि 1988 में वीर बहादुर सिंह ने नोएडा आने के बाद सत्ता हाथ से गंवा दी थी। इसी तरह 1989 में नारायण दत्त तिवारी और 1999 में कल्याण सिंह की नोएडा आने के बाद कुर्सी चली गयी थी। 1995 में मुलायम सिंह की भी नोएडा आने के कुछ दिन बाद ही राजगद्दी छिन गई थी।
ऐसे में यह जानना दिलचस्प हो गया है कि जैसे बीजेपी के सीएम त्रिवेंद्र रावत ने बंगले में डेरा जमाकर उसकी मनहूसियत को हटाने की कोशिश की है तो क्या यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी नोएडा शहर में अपने कदम रखकर उसका कलंक मिटाएंगे या फिर नोएडा शहर को इसी शापित टैग के साथ छोड़ दिया जाएगा?