दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर अब भारत कि बनी ट्रेन दौड़ेगी। इन ट्रेनों का उत्पादन गुजरात में शुरू हो गया है। फिलहाल बाम्बार्डियर संयंत्र में 40 ट्रेनों का उत्पादन (छह कोच की आरआरटीएस ट्रेन के लिए 30 ट्रेन सेट और एमआरटीएस ट्रेन के लिए तीन कोच वाली 10 ट्रेन सेट) चल रहा है। ट्रेन का लुक सितंबर साल 2020 में ही जारी कर दिया गया था। एर्गोनोमिक सीटिंग और बेहतर राइडिंग कम्फर्ट वाली इन 3.2-मीटर चौड़ी ट्रेनों को बैठने और खड़े होने की पर्याप्त जगह के साथ डिजाइन किया जा रहा है।

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इस संबंध में एनसीआर परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह का कहना है कि आरआरटीएस दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण, भीड़भाड़ और असहनीय शहरी फैलाव को स्थायी रूप से कम करने में मदद करेगा। इन विश्व स्तरीय ट्रेनों के उत्पादन की शुरुआत हमें एनसीआर के लोगों को तेज, विश्वसनीय, सुरक्षित और आरामदायक परिवहन सेवा प्रदान करने के अपने वादे को प्राप्त करने के करीब लाती है।

साल 2023 तक प्राथमिकता खंड शुरू करने के लक्ष्य को लेकर कााम चल रहा है। इन हाइ-स्पीड, हाइ-फ़्रीक्वेंसी ट्रेनों को 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार के लिए डिजाइन किया गया है। निर्माण के बाद आरआरटीएस एनसीआर में कम्यूटर परिवहन का सबसे तेज, विश्वसनीय, आरामदायक और सुरक्षित यातायात करने का तरीका होगा। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस दिल्ली और मेरठ के बीच यात्रा करने में 60 मीनट कम लगेगा।

अल्सटाम इंडिया के प्रबंध निदेशक एलेन स्पोए का कहना है कि यह प्रोजेक्ट भारत के रिजनल रेल सेगमेंट के लिए गेम-चेंजर साबित होने वाला है। जो लाखों लोगों को लाभ देगा और सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान करेगा। हमें देश की पहली सेमी हाई-स्पीड कम्युटर सेवा के लिए इन प्रौद्योगिकी की पुष्टि से उन्नत ट्रेनों का स्थानीय स्तर पर निर्माण शुरू होने पर बहुत खुशी है।

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