उत्तराखंड में बारिश बरबादी का सबब बनते जा रही है। लगातार हो रही बरसात से पहाड़ों पर हालात खराब होने लगे हैं। पहाड़ी इलाकों में मूसलाधार बारिश होने से मैदानी इलाकों में हाहाकार मचा है। पहाड़ों की रानी मसूरी के प्रसिद्ध केंप्टी फाल में का नजारा तो भयावह हो गया है। पहाड़ से तेज पानी आने से केंप्टी फाल से फोर्स में पानी निकल रहा है, जिसको देखते हुए केंप्टी फाल को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है। नदियां उफान पर हैं, गंगा नदी तो मानों सारे बंधंनों को तोड़कर हर ओर फैल जाना चाहती है।

भारी बारिश के चलते यमुनोत्री राष्‍ट्रीय राजमार्ग पिछले छह दिनों से बंद है। हरिद्वार में भीमगोड़ा बैराज पर लगातार पानी बढ़ रहा है। जिला प्रशासन बढ़ते जल स्तर पर नजर बनाए हुए है। अधिकारियों को अलर्ट कर दिया गया है। हरिद्वार में हर की पैड़ी से लेकर चारों तरफ पानी ही पानी नजर आता है। भीमगोड़ा बैराज के पास तो ऐसा लगता है नदी नहीं समुद्र का पानी जमा हो गया है। यहां गंगा नदी का जल स्तर खतरे के निशान 294 मीटर के पास पहुंच गया है। जल स्तर फिलहाल 293 मीटर के करीब बना हुआ है। गंगा में पानी बढ़ने से सबसे ज्यादा खतरा गंगा किनारे बसे गांवों को है।

शासन और प्रशासन लगातार हो रही बारिश से पैदा होने वाले हालात पर फिलहाल नजर तो बनाए रखा है। लेकिन मौसम के मिजाज में हाल फिलहाल बदलाव नहीं हुआ तो खतरा बड़ा हो सकता है। ऐसा ही कुछ हाल पौड़ी जिले का भी है। आसमान से गिरती बूंदों ने पौड़ी शहर और आस-पास के इलाकों में जन जीवन अस्त व्यस्त कर दिया है। पिछले कई दिनों से लगातार हो रही बारिश ने लोगों को घऱों में कैद रहने को मजबूर कर दिया है। बहुत जरूरी होने पर ही लोग घरों से निकल रहे हैं। बारिश के चलते ज्यादा तर मार्ग बंद हो गए हैं। यातायात पर बुरी तरह बाधित हुआ है। मोटरमार्गों को खोलने की कोशिशें हो रही हैं। लेकिन मूसलाधार बारिश के चलते इसमें भी भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

श्रीनगर में मोलन- भिताई, कोटद्वार में नौगांव- बुकंडी और सतपुली में रीठाखाल- पंचवटी नाई मोटर मार्ग पर ट्रैफिक पूरी तरह से ठप हो गया है। मौसम विभाग ने अगले चौबीस घंटे में भारी बारिश की संभावना जताई है। जिसके बाद जिला प्रशासन ने भी संबंधित विभागों और अधिकारियों को अलर्ट कर दिया है। पिथौरागढ़ के सीमांत क्षेत्रों में भी आपदा जैसे हालात पैदा हो गए हैं। लगातार हो रही बारिश से हालात और बिगड़ते ही जा रहे हैं।

दारमा घाटी में जगह जगह सड़क टूट गई है। लोग जान जोखिम में डालकर यात्रा करने को मजबूर हो रहे हैं। टूटी सड़कों से बच्चो, बुजुर्गों और बीमारों को ले जाना खासा मुश्किल भरा काम हो गया है। हर वक्त खतरा बना रहा है। इन सड़कों पर पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। मुश्किल की इस घड़ी में सरकारी इंतजामों के सारे दावे खोखले ही साबित हुए हैं। अब लोगों को मेघों से ही उम्मीद बची रह गई है कि कब वो बरसना बंद करें।

                                                                                                                        एपीएन ब्यूरो

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