राफेल सौदे पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि इस डील में रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 में निर्धारित प्रक्रिया का पूरा पालन किया गया है। सरकार ने उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुसार 36 राफेल विमानों की खरीद के संबंध में किए गए फैसले के ब्योरे वाले दस्तावेज याचिकाकर्ताओं को सौंपे। दस्तावेजों में कहा गया कि फ्रांसीसी पक्ष के साथ बातचीत तकरीबन एक साल चली और समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति की मंजूरी ली गई।

केंद्र सरकार ने हलफनामे में बताया कि इस डील को फाइनल करने से पहले दोनों देशों (भारत और फ्रांस) के बीच 74 बैठकें हुई थीं।

खास बात ये है कि केंद्र सरकार ने राफेल सौदे पर सुप्रीम कोर्ट में ऐसे समय में हलफनामा दाखिल किया है, जब विपक्षी दल लगातार सरकार पर हमलवर हैं और विमान की कीमत सार्वजनिक करने का दबाव बना रहे हैं। कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी सीधे-सीधे उद्योगपति अनिल अंबानी का नाम लेकर इस सौदे में भ्रष्टाचार का बड़ा आरोप लगा रहे हैं।

राफेल हवा से हवा में मार करने वाली दुनिया की सबसे घातक मिसाइल मेटेओर से लैस है। मेटेओर मिसाइल 100 किलोमीटर दूर उड़ रहे फाइटर जेट को मार गिराने में सक्षम है और ये चीन-पाकिस्तान सहित पूरे एशिया में किसी के पास नहीं है। इसके अलावा राफेल में हवा से सतह पर मार करने वाली सबसे खतरनाक क्रूज़ मिसाइल स्कैल्प है। जो करीब 560 किलोमीटर दूर तक मार कर सकती है। राफेल हवा से हवा में मार करने वाली खतरनाक माइका मिसाइल से भी लैस है जो 50 किलोमीटर तक के टारगेट को मार सकती है।

मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जाता रहा है कि यूपीए सरकार ने 600 करोड़ रुपये में एक राफेल का सौदा किया था, जबकि मोदी सरकार को एक राफेल करीब 1600 करोड़ रुपये का पड़ेगा। सरकार ने अब तक इसकी कीमत सार्वजनिक नहीं की है। सरकार ने गोपनीयता का हवाला देकर राफेल डील की कीमत नहीं बताई है।

राफेल को लेकर राहुल गांधी ने पीएम मोदी से किए 3 सवाल किए थे। 1. राफेल डील पर कॉन्ट्रेक्ट बदला गया या नहीं 2. राफेल हवाई जहाजों के लिए कितना पैसा दिया गया, पैसा कम या ज्यादा किया गया या नहीं? और 3. तय दाम पर खरीद के लिए सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमिटी से मंजूरी ली गई या नहीं?

Also Read:

भारत सरकार ने जो दस्तावेज कोर्ट में जमा कराए हैं, उससे जाहिर होता है कि राहुल गांधी के दो सवाल के जवाब मिल गए है। पहला ये कि सौदा 2013 के रक्षा खरीद प्रक्रिया के तहत किया गया है। दूसरा, सौदे की मंजूरी सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमिटी से ली गई थी। लेकिन अब भी मोदी सरकार ने विमान की कीमत सार्वजनिक नहीं की है, जिसे लेकर विपक्ष सरकार को लगातार घेर रहा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here