पंजाब से चरमपंथ को खत्म करने वाले सुपरकॉप के.पी.एस गिल का आज निधन हो गया। पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक केपीएस गिल काफी वक्त से बीमार चल रहे थे। बीमार पड़ने पर उन्हें दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां आज दोपहर उनका निधन हो गया। जानकारी के अनुसार वह किडनी से जुड़ी बीमारियों से परेशान चल रहे थे और किडनी फेल होने के कारण उनकी मौत हो गई।
#JUST_IN: Former Punjab Police chief KPS Gill passes away. He was 82. pic.twitter.com/szVJmjxZQl
— APN NEWS (@apnnewsindia) May 26, 2017
असम से की करियर की शुरुआत
गिल ने भारतीय पुलिस सेवा में अपनी करियर की शुरुआत पूर्वोत्तर राज्य असम से की थी लेकिन 1990 के दशक में वह पंजाब पुलिस के प्रमुख के रूप में देशभर में प्रसिद्ध हुए। गिल की कहानियां उस दौर में देशभर के लोगों के जुबान पर होती थी। साहसी और सख्त मिजाज के अफसर माने जाने वाले केपीएस गिल पंजाब के डीजीपी पहली बार मई 1988 से दिसंबर 1990 तक रहे और दूसरी बार नवंबर 1991 से दिसंबर 1995 तक रहे। आपको बता दें कि इस दौर में पंजाब में आतंकवाद अपने चरम पर था। आए दिन आतंकवादी घटना को अंजाम देते रहते थे।
पंजाब से किया आतंकवाद को खत्म
1988 में जब वह पहली बार पंजाब के डीजीपी बने तो अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में चरमपंथी फिर से एकत्रित होने लगे लेकिन केपीएस गिल ने ऑपरेशन ब्लैकथंडर के तहत बिना ज्यादा गोलीबारी किए सभी चरमपंथियों को बाहर निकाला। चरमपंथियों को बिना खास गोलीबारी के निकालने के लिए गिल ने परिसर में बिजली, पानी की सप्लाई रोककर उन्हें निकालने का रास्ता अपनाया। आतंकवाद के खिलाफ इस बड़ी सफलता के बाद गिल ने और भी कई सख्त कदम उठाए थे। आतंकवाद के खिलाफ एक के बाद एक बड़े कदम उठाने के बाद एक दौर ऐसा आया जब आतंकवादी उनके नाम से खौफ खाने लगे। अपने सख्त नीतियों के कारण वो पंजाब से आतंकवाद खत्म करने में कामयाब रहे। इसके बाद देश-दुनिया में मीडिया ने उन्हें सुपरकॉप के नाम से प्रसिद्ध कर दिया।
1989 में मिला पद्मश्री पुस्कार
1995 में पुलिस से सेवानिवृत होने के बाद उन्हें 1989 में पद्मश्री पुरस्कार मिला था। इसके बाद गिल इंडियन हॉकी फेडरेशन (IHF) के अध्यक्ष भी बने। सेवानिवृत होने के बाद भी वह विभिन्न सरकारों को आतंकवाद विरोधी नीति निर्माण के लिए सलाह देने में हमेशा व्यस्त रहे। गुजरात 2002 में जब सांप्रदायिक हिंसा से जूझ रहा था, तब भी गिल ने वहां शांति बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई। गिल उस समय गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सुरक्षा सलाहकार थे। गिल ने अपने दीर्घ अनुभवों व सख्त फैसलों से गुजरात की सांप्रदायिक हिंसा पर काबू पाया।
गिल पर यौन दुर्व्यवहार का भी लगा आरोप
केपीएस गिल पर एक वरिष्ठ महिला आईएएस अधिकारी रूपन देओल बजाज ने यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था। 17 साल बाद उन्हें इस मामले में दोषी ठहराया गया था लेकिन गिल की सज़ा कम कर दी गई, जुर्माना भी कम कर दिया गया और जेल भी नहीं भेजा गया।