महाराष्ट्र के एक मुस्लिम पुलिसकर्मी को दाढ़ी न हटवाने के चलते सस्पेंड कर दिया गया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फिर से नौकरी पर वापस लौटने का ऑफर दिया है। चीफ जस्टिस ने पुलिसकर्मी के वकील से कहा कि हम आपके लिए बुरा महसूस करते हैं। आप जॉइन क्यों नहीं कर लेते? बताया जा रहा है कि गुरूवार को इस पुलिसकर्मी ने कोर्ट के इस ऑफर को ठुकरा दिया है।

महाराष्ट्र के इस पुलिसकर्मी का नाम जहीरुद्दीन शमसुद्दीन बेदादे है। जहीरुद्दीन महाराष्ट्र रिजर्व पुलिस फोर्स के कर्मी हैं। जहीरुद्दीन के वकील मोहम्मद इरशाद हनीफ ने कोर्ट में बताया कि इस्लाम में अस्थाई दाढ़ी रखने की किसी भी तरह की अवधारणा नहीं है साथ ही, उन्होंने ये भी कहा था कि इस्लाम के हदीस कानून के तहत दाढ़ी रखना जरूरी है और यह पैगंबर मोहम्मद की तरफ से बताई गई जीवन शैली का मामला है। वकील ने इस मामले में जल्द सुनवाई की मांग की था लेकिन कोर्ट ने जल्द सुनवाई का अनुरोध ठुकरा दिया। बता दें कि जहीरुद्दीन को कमांडेंट  में काम के दौरान शुरूआत में दाढ़ी रखने की इजाजत दी गई थी लेकिन दाढ़ी रखने के साथ यह शर्त भी रखी गई थी की दाढ़ी छंटी हुई और साफ हो। इजाजत मिलने के बाद उन्हें फिर दाढ़ी रखने के लिए मना कर दिया था जिसके बाद जहीरुद्दीन के अड़े रहने के बाद उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की गई थी। 2012 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने  जहीरुद्दीन के खिलाफ फैसला सुनाते हुए कहा कि फोर्स एक सेक्युलर एजेंसी है और यहां अनुशासन का पालन करना जरूरी है।

जहीरुद्दीन के वकील ने उस वक्त सैन्य बलों के लिए 1989 के एक सर्कुलर का हवाला देते हुए कहा था कि नियमों में दाढ़ी रखने की इजाजत है।

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