PM Modi ने आज कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले का एलान किया। पॉलिटिकल पंडित बता रहे हैं कि इस फैसले के पीछे एक बड़ी वजह अगले साल होने वाला यूपी चुनाव है। दरअसल पार्टी के भीतरी सर्वे और कई सर्वे एजेंसियों के सर्वे के मुताबिक बीजेपी को आगामी चुनाव में न सिर्फ सीटों में बड़ा नुकसान हो रहा था बल्कि सूबे में पार्टी का वोट प्रतिशत भी कम हो रहा था।
सीटों और वोट प्रतिशत का नुकसान
एबीपी सी वोटर के सर्वे में नवंबर महीने में बीजेपी को आगामी चुनाव में 213-221 सीटें मिलती बताई जा रही थीं। जबकि 2017 के चुनाव में बीजेपी को 325 सीटें मिली थीं। पार्टी का वोट प्रतिशत भी कम होता बताया जा रहा था।
पश्चिमी यूपी में मजबूत पकड़ को खोना नहीं चाहती बीजेपी
पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन के चलते होते नुकसान का आकलन करते हुए ही बीजेपी ने तीन कानून वापस लिये हैं। पश्चिमी यूपी में 2014 चुनाव से बीजेपी ने मजबूत पकड़ बनाई है, पार्टी किसी भी सूरत में इस पकड़ को खोना नहीं चाहती है। इस क्षेत्र में सपा और जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन कर सकती हैं ऐसे में इन दोनों पार्टियों के चलते बीजेपी को नुकसान न हो जाए इसलिए नाराज किसानों के गुस्से को शांत करने के लिए कानून वापस लिए गए।
मुजफ्फरनगर के मामले को सीएम योगी ने हाल ही में आन बान शान बताया था। 2013 में हुए दंगों के बाद से यहां बीजेपी को बहुत फायदा हुआ था लेकिन कृषि कानून के मुद्दे पर बीजेपी को हानि होती दिख रही थी। 2017 में वेस्ट यूपी की 136 विधानसभा सीटों में से 109 सीटों पर बीजेपी काबिज रही थी। पश्चिमी यूपी में गन्ना किसानों की संख्या अधिक है जो तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में शुरुआत से शामिल थे।
लखीमपुर खीरी मामले के चलते बीजेपी को नुकसान
कृषि आंदोलन के साथ ही लखीमपुर खीरी में हुई घटना से किसानों में सरकार के प्रति रोष और बढ़ गया था। इस घटना में 4 आंदोलनकारी किसानों की बीजेपी समर्थकों की गाड़ी से कुचलकर मौत हो गई थी।
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