आज जब सारी दुनिया कोरोना की वज़ह से रूकी हुई है जो जहां है वही थम गया है| परंतु कुछ लोग इसी अवस्था में हैं कि उनको इस समय मदद की बहुत जरूरत है।  ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है जिसमें उपयुक्त सरकार से नर्सों और डॉक्टरों को वापस लाने की मांग की गई हैं, जो बड़ी दुर्बल स्थिति में फंसे हुए हैं| यह याचिका वर्तमान में सऊदी अरब  में नर्स और डॉक्टर्स के रूप में काम कर रही सनिषा थॉमस और अन्य लोगों द्वारा दायर की गई है| सनिषा थॉमस इस समय गर्भावस्था के अपने तीसरे तिमाही में हैं और इस संकट के समय अपने देश से दूर होने की कारण उनके साथ-साथ भ्रूण के लिए भी घातक साबित हो रहा हैं।

याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में भारत के दूतावास, रियाद, सऊदी अरब से दिशा-निर्देशों के लिए प्रार्थना की है यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि याचिकाकर्ताओं को भारत आने तक उचित चिकित्सा सुविधाओं तक दी जाए| याचिकाकर्ताओं ने बताया कि “सऊदी अरब के अधिकांश सरकारी अस्पतालों को कोरोना उपचार केंद्रों में परिवर्तित कर दिया गया है और वे केवल उक्त संक्रमण वाले लोगों को स्वीकार कर रहे हैं और याचिकाकर्ता निजी अस्पतालों में उपचार के लिए वित्तीय स्थिति के कारण सक्षम नहीं है|

याचिकाकर्ताओं ने आगे बताया कि चूंकि वे उनमें से है जिन अधिकांश लोगों ने अपने बच्चे की डिलीवरी के लिए भारत लौटने के लिए अपनी नौकरियों से इस्तीफा दे दिया है, इसलिए उनके पास प्रसव के खर्च सहित अपनी आवश्यक जरूरतों के लिए ना तो आय का कोई स्रोत है नहीं धन बचा है|

जीवन के अधिकार और समानता के अधिकार की मांग करते हुए याचिकाकर्ताओं ने  अपनी याचिका में प्रस्तुत किया  कि संविधान अनुच्छेद -21 के तहत, न केवल अजन्मे बच्चे के जीवन के लिए महत्वपूर्ण बताया और अन्यायपूर्ण विनाश से बचाने के लिए अनुच्छेद -14 के समानता के अधिकार को भी याद दिलाया|

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