पटना के उच्च न्यायालय ने कोरोना लॉकडाउन के बीच ट्रांसजेंडर की दयनीय स्थिति के कारण ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों के लिए वित्तीय सहायता की मांग करने वाली याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया।

मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस.कुमार की पीठ ने वीर यादव द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की जिसमें कोरोना लॉकडाउन के बीच ट्रांसजेंडर्स की दुर्दशा को उजागर किया गया था और समुदाय के सदस्यों को वित्तीय सहायता के लिए प्रार्थना की गई थी।

इस मामले पर विचार करने वाली पीठ ने  सचिव के माध्यम से गृह मंत्रालय, भारत सरकार और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सचिव के माध्यम से भारत संघ को इसकी महत्व को अवगत कराया|

पीठ ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता ने बिहार राज्य में ट्रांसजेंडर के मामलों की  दयनीय स्थिति पर ध्यान आकर्षित करते हुए न्यायालयों को इसमे हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है, ट्रांसजेंडर समुदाय पर इस महामारी के कारण होने वाले अर्थिक और मानसिक संकट मे सहायता प्रदान करने वाले आदेश की मांग की है|

हालाँकि, बिहार राज्य के लिए उपस्थित महाधिवक्ता ने स्पष्ट किया कि “सरकार ने बिहार राज्य में सभी समुदाय के सभी सदस्यों को राशन प्रदान करने का प्रावधान किया है, भले ही इस तथ्य के बावजूद कि वे किसी राशन कार्ड के अधिकारी हैं या नहीं। ”

पीठ ने कहा कि “ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों और उनके कल्याण के लिए और उनके साथ जुड़े मामलों और आकस्मिक उपचार के लिए प्रदान करने के लिए अधिनियमित किया गया था। अधिनियम के अनुसार, कोई भी व्यक्ति या प्रतिष्ठान शिक्षा, रोजगार, व्यवसाय, स्वास्थ्य, वस्तुओं के भोग, आवास, सेवाओं, सुविधाओं आदि के मामले में एक ट्रांसजेंडर के खिलाफ भेदभाव नहीं करेगा।

पीठ ने नोटिस जारी करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह एक सुविधा केंद्र प्रदान करने पर विचार करे, जो सभी समस्याओं से निपटने वाला एक केंद्र हो- जो जमीनी स्तर पर समुदाय के सदस्यों के लिए हो, जो राज्य में प्रचलित आंगनवाड़ी प्रणाली के रूप मे हो सकता है।

इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 11 मई को होगी।

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