जम्मू कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में पाकिस्तान की ओर से शनिवार हुए सीजफायर के दौरान मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हिम्मत से डटे 21 वर्षीय जांबाज विकास गुरुंग ने अपनी जान की बाजी लगा दी शहीद हो गए। ईद के दिन पूरा देश खुशियां मना सके इसलिए जवान विकास गुरुंग अन्य जवानों के साथ भारतमाता की सरहदों की सुरक्षा में तैनात थे। तभी पेट्रोलिंग के दौरान करीब साढ़े आठ बजे सुबह सीमा पार से दुश्मनों ने अचानक भारतीय सैन्य टुकड़ी पर फायरिंग कर दी।

सेना ने मोर्चा संभालते हुए जवाबी फायरिंग की। विकास गुरुंग पाकिस्तानी सैनिकों के सामने डटे रहे तभी दुश्मन का एक मोर्टार विकास गुरुंग को लगा और वह शहीद हो गए। वहीं उत्तराखंड के एक और जांबाज ने देशरक्षा में अपने प्राणों का बलिदान कर दिया।

शहीद विकास गुरुंग का छोटा भाई निरंजन भी भारतीय सेना में तैनात हैं। शहीद के पिता रमेश गुरुंग खुद भारतीय सेना में रह चुके हैं। लिहाजा उनके दोनों बेटों ने भी सेना में जाने का फैसला किया। अपने फैसले पर पिता को गर्व है, बेटे की शहादत पर गर्व है लेकिन अपने लाडले विकास गुरुंग के जाने का गम उनकी आंखों में भला कैसे नहीं झलकता।

बेटे की शहादत पर सैनिक पिता का सीना 56 इंच का भले हो गया हो लेकिन, का दर्द छलक उठा उन्होंने कहा कि, सरकार ने सेना के हाथ-पैर बांध दिए हैं। जाहिर है कि, रमजान के दौरान सीजफायर ने देश को कई जांबाज बेटों को खोने के लिए मजबूर होना पड़ा।

शहीद विकास गुरुंग की बहन का भी रो-रोकर बुरा हाल है।

जम्मू-कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में तैनात गोरखा रेजीमेंट की 2/3 प्लाटून की सैन्य टुकड़ी में तैनात विकास ने जांबाजी की दुनिया में अपना नाम अमर कर लिया। ऋषिकेश के गुमानीवाला निवासी विकास की शहादत से इलाके के लोगों में शोक की लहर है। हर देशवासी की आंखें नम हैं।बीते चंद दिनों में जम्मू कश्मीर के बांदीपुरा में आंतकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए उत्तराखंड के लाल मानवेन्द्र सिंह और विकास गुरुंग की शहादत ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उत्तराखंड की मिट्टी में जांबाज पलते हैं।

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