किसान पीछले दो महीने से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। अन्नदाता कृषि कानून को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। किसानों के इस मुद्दे को ट्विटर आग देने में अहम भूमिका निभा रहा है। इस दौरान लोग ट्विटर का गलत इस्तेमाल भी कर रहे हैं। इसमें कुछ लोग खालिस्तानी-पाकिस्तानी प्रेमी हैं। हिंसा फैलाने वाले अकाउंट की पहचान गृह मत्रालय ने कर ली है।

1,178 अकाउंट को ब्लॉक करने का आदेश

ट्विटर का गलत इस्तेमाल होते देख भारत सरकार सख्त हो गई है। 257 अकाउंट सस्पेंड कराने के बाद सरकार ने एक और नोटिस भेजकर माइक्रो-ब्‍लॉगिंग प्‍लेटफॉर्म से कहा है कि वह 1,178 खातों को ब्‍लॉक करे। सरकार को शक है कि ये अकाउंट्स खालिस्‍तान समर्थकों के हैं या फिर इन्‍हें पाकिस्‍तान से शह मिली है।

सूत्रों से मिली खबर के अनुसार “जिन अकाउंट्स को ब्‍लॉक करने का ऑर्डर दिया गया है, वे खालिस्‍तान से हमदर्दी रखने वालों के हैं या जिन्‍हें पाकिस्‍तान से शह मिली हुई है और विदेशी धरती से ऑपरेट किए जा रहे हैं। इनमें से कई अकाउंट्स ऑटोमेटेड बॉट्स हैं जिनका इस्‍तेमाल किसान आंदोलन को लेकर गलत जानकरी फैलाने और भड़काऊ कंटेंट शेयर करने के लिए हो रहा था।” 

आईटी ऐक्‍ट की धारा 69ए के तहत ट्विटर ने नहीं किया पालन

सरकार के सख्त आदेश के बाद भी ट्विटर अपना रूख साफ नहीं कर रहा है। आईटी ऐक्‍ट की धारा 69ए के तहत दिए गए निर्देशों का ट्विटर ने अबतक पालन नहीं किया है। सरकार ने ट्विटर को चेतावनी देते हुए कहा कि, अगर आदेश नहीं माने जाते तो उसके अधिकारियों को सात साल तक की जेल हो सकती है और कंपनी पर जुर्माना लगाया जा सकता है।

सरकार ने 257 अकांउट्स की जो पहली लिस्‍ट भेजी थी, उनको ब्‍लॉक करने के कुछ देर बाद ही ट्विटर ने अनब्‍लॉक कर दिया था। इसके बाद रविशंकर प्रसाद के नेतृत्‍व वाली आईटी मिनिस्‍ट्री ने विस्‍तृत नोट भेजकर कंपनी से आदेश मानने को कहा था। 

257 अकाउंट ब्लॉक फिर अनब्लॉक

इन 257 अकांउट्स से हिंसा भड़कान जैसा ट्विट किया गया था। इन अकाउंट्स से किसान आंदोलन को लेकर ट्वीट किए गए थे और #ModiPlanning-FarmerGenocide हैशटैग का यूज किया गया था।

ट्विटर ने इन सभी अकाउंट को अनब्लॉक कर दिया है। ट्विटर ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि, उनके ट्वीट्स ‘फ्री स्‍पीच और समाचार लायक थे।’

रविशंकर प्रसाद ने ट्विटर को बताया अभिव्‍यक्ति की आजादी

इस बयान पर रविशंकर प्रसाद ने पलटवार करते कहा कि, नरसंहार की बात करना अभिव्‍यक्ति की आजादी नहीं है; यह कानून-व्‍यवस्‍था के लिए खतरा है। दिल्‍ली में गणतंत्र दिवस पर हिंसा हो चुकी है।’

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