किसान आंदोलन को 50 दिन पूरा होने वाला हैं। कृषि कानून की खिलाफत करते हुए 40 से अधिक किसानों ने सड़क पर दम तोड़ दिया। किसान संगठन सरकार से वार्ता पर वार्ता कर रहे हैं लेकिन हल शून्य है। इस पर सुप्रीम कोर्ट अब सख्त हो गया है।

किसानों के बिगड़ते हालात और बढ़ते आंदोलन को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज सरकार पर तीखी टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, आप जिस तरह से इस आंदोलन को हैंडल कर रहे हैं उस से हम नाखुश हैं। हमे नहीं पता कृषि कानून बनाते समय आप ने क्या सोचा था। हमारे पास कोई दलील नहीं आई है जिसमे कानून की तारीफ हुई हो।

सरकार की इस टिप्पणी से किसान नेता बेहद खुश हैं। किसानों ने कहा कि, “सुप्रीम कोर्ट नए कृषि कानूनों को स्थगित करने को लेकर कोई पुख्ता फैसला करती है तो हम उसके बाद आंदोलन को खत्म करने या स्थगित करने पर विचार करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण है और शांतिपूर्ण रहेगा। सरकार को लोकतांत्रिक तरीके से हमारी आवाज को सुननी चाहिए।”

बदा दें कि किसान आदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है इस दौरान कोर्ट ने किसानों के समक्ष कमेटी बनाने का प्रस्ताव भी रखा लेकिन किसानों ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है।

अदालत ने कहा कि हम किसान मामले के एक्सपर्ट नहीं हैं, लेकिन क्या आप इन कानूनों को रोकेंगे या हम कदम उठाएं। हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं, लोग मर रहे हैं और ठंड में बैठे हैं। वहां खाने, पानी का कौन ख्याल रख रहा है?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ये नहीं सुनना चाहते हैं कि ये मामला कोर्ट में ही हल हो या नहीं हो। हम बस यही चाहते हैं कि क्या आप इस मामले को बातचीत से सुलझा सकते हैं। अगर आप चाहते तो कह सकते थे कि मुद्दा सुलझने तक इस कानून को लागू नहीं करेंगे। अदालत ने कहा कि हमें पता नहीं कि आप समस्या का हिस्सा हैं या समाधान का हिस्सा हैं। 

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