नेताजी के नाम से मशहूर देश के रक्षा मंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की रविवार (2 अक्टूबर) को अचानक तबीयत बिगड़ गई। 82 वर्षीय नेताजी लंबे समय से बीमार चल रहे थे और गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती थे। आज सपा सरंक्षक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन हो गया।
बता दें कि इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और मुलायम सिंह के पुत्र अखिलेश यादव से फोन पर बात कर वरिष्ठ नेता के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी।
21 नवंबर 1939 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में जन्मे मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने साल 1963 में सहायक अध्यापक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत क।. पहलवान से शिक्षक बने मुलायम सिंह के पास एमए (राजनीति विज्ञान) और बी.एड की डिग्री है. मुलायम सिंह को कुश्ती लड़ने का भी शौक था। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राजनीति जिन धर्म और जाति की प्रयोगशाला से गुजरी, उसके एक कर्ताधर्ता मुलायम सिंह भी थे।
सियासी सफर
82 वर्षीय समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव इस समय लोकसभा में मैनपुरी के सांसद हैं. अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच नेताजी के नाम से मशहूर मुलायम सिंह का सियासी जीवन काफी उबड़-खाबड़ रास्तों से होकर गुजरा है. पहलवानी करने वाले और फिर उसके बाद शिक्षक जैसे पेशे में आने वाले मुलायम सिंह अपनी 55 साल की सियासी पारी में कई दलों में रहे.
मुलायम को जब तेजी से यादवों और मुसलमानों के नेता के रूप में माना जाने लगा तो उन्होंने बढ़ते सामाजिक विखंडन और कई गैर-यादव ओबीसी जातियों को लुभाने के साथ-साथ अपनी छवि को सामाजिक विस्तार करने के लिए उच्च-जाति समुदायों, विशेषकर ठाकुरों तक पहुंचने की कोशिश की.
एक समाजवादी नेता के रूप में उभरते हुए, मुलायम ने जल्द ही खुद को एक ओबीसी के दिग्गज नेता के रूप में स्थापित कर लिया, और उत्तर प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस के घटते जनाधार के बीच अपने आप को लगातार स्थापित करते चले गए.
मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव
मुलायम सिंह यादव अपने तीन कार्यकालों के दौरान लगभग 6 साल 9 महीने तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे.
1989 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी के बाहरी समर्थन के साथ जनता दल के नेता के रूप में मुलायम सिंह ने उत्तर प्रदेश के 15वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. 1989 के बाद आजतक कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में सत्ता में नहीं लौटी है.
1993 में समाजवादी पार्टी के नेता के रूप में मुलायम सिंह दूसरी बार मुख्यमंत्री बने, जब कांशीराम के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) उनकी सहयोगी बनी.
मुलायम सिंह ने 2003 में तीसरी बार समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन के नेता के रूप में मुख्यमंत्री की शपथ ली.
08 बार के विधायक और 07 बार सांसद
55 साल के सियासी सफर में मुलायम सिंह यादव 28 साल की उम्र में 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (एसएसपी) के उम्मीदवार के रूप में इटावा की जसवंतनगर से पहली बार विधायक चुने गए थे, लेकिन 1969 में कांग्रेस के बिशंभर सिंह यादव से चुनाव हार गए. मुलायम 1967 से 1996 तक 08 बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए. एक बार 1982 से लेकर 1987 तक विधान परिषद के सदस्य रहे.
1974 के मध्यावधि चुनावों से पहले, मुलायम चौधरी चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल (बीकेडी) में शामिल हो गए और इसके टिकट पर जसवंतनगर सीट जीती.
मुलायम सिंह को 1977 में पहली बार उत्तर प्रदेश की राम नरेश यादव सरकार में सहकारिता एवं पशुपालन मंत्री बनाया गया था.
1980 के चुनावों में, जब कांग्रेस ने वापसी की, मुलायम अपनी सीट कांग्रेस के बलराम सिंह यादव से हार गए. बाद में वह लोक दल में चले गए और राज्य विधान परिषद के उम्मीदवार के रूप में चुने गए और विपक्ष के नेता भी बने.
मुलायम सिंह ने 1980 में लोकदल का अध्यक्ष पद संभाला. 1985-87 के बीच उत्तर प्रदेश में जनता दल के अध्यक्ष रहे. साल 1975 में आपातकाल (Emergency) के दौरान जेल जाने वाले नेताओं में मुलायम का नाम भी शामिल है.
1985 के विधानसभा चुनाव में, मुलायम जसवंतनगर से लोक दल के टिकट पर चुने गए और विपक्ष के नेता बने.
1989 में 10वीं उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव से कुछ महीने पहले, मुलायम सिंह, वीपी सिंह के नेतृत्व वाले जनता दल में शामिल हो गए और उन्हें यूपी इकाई का प्रमुख नियुक्त किया गया. प्रमुख विपक्षी चेहरे के रूप में उभरने के बाद, उन्होंने राज्यव्यापी क्रांति रथ यात्रा शुरू की. उनकी रैलियों में एक थीम गीत था, “नाम मुलायम सिंह है, लेकिन काम बड़ा फौलादी है….”
साल 1992 में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी की स्थापना की.
मुलायम सिंह 1996 में केंद्र की राजनीति का रुख करते हुए उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे और एचडी देवेगौड़ा एवं इसके बाद आईके गुजराल के नेतृत्व वाली संयुक्त मोर्चा सरकारों में रक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया. हालांकि 1996 में मुलायम सिंह को प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार में था लेकिन कुछ नेताओं के विरोध के चलते वे इस पद तक नहीं पहुंच पाये.
1996 के बाद से अब (3 अक्टूबर 2022) तक मुलायम सिंह 07 बार लोकसभा (मैनपुरी, संभल, आजमगढ़, कन्नौज) का चुनाव जीत चुके हैं.
साल 2012 में समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की. हालांकि इस बार उन्होंने खुद मुख्यमंत्री बनने की जगह अपने बेटे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाया.
कैसा रहा सीएम और रक्षा मंत्री के तौर पर कार्यकाल
मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान, मुलायम गैर-उच्च जातियों के लोगों की बढ़ती राजनीतिक और सामाजिक आकांक्षाओं पर सवार थे. उन्होंने विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे एससी / एसटी / ओबीसी उम्मीदवारों के लिए एक कोचिंग योजना सहित उनके सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं शुरू कीं.
मुलायम सिंह 1993 के चुनावों के बाद जब दूसरी बार मुख्यमंत्री बने तो उनकी सरकार ने मंडल आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ओबीसी आरक्षण को 15 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया.
इसके साथ ही त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं में विभिन्न सामाजिक श्रेणियों के लिए आरक्षण सुनिश्चित किया. लेकिन वह अपराधियों को बचाने और अपने परिवार के सदस्यों को राजनीति में बढ़ावा देने के आरोप लगातार झेलते रहे.
रक्षा मंत्री के रूप में, मुलायम रक्षा प्रतिष्ठानों के पत्राचार में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते थे.
उनका तीसरा सीएम कार्यकाल उनके पुराने सहयोगी स्वर्गीय अमर सिंह से अत्यधिक प्रभावित था, जिन्होंने उन्हें कॉर्पोरेट और फिल्मी हलकों से भी जोड़ा.
विवादों से भी पुराना नाता
1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे के विध्वंस और इसके पहले एवं बाद की घटनाओं ने मुलायम सिंह के राजनीतिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 1990 में जब वह मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने अयोध्या में कानून व्यवस्था बनाए रखने का आदेश दिया था, जब उन्होंने कहा था, “संरचना (बाबरी मस्जिद) के आसपास इतनी सुरक्षा होगी कि एक पक्षी भी पर नहीं मार पाएगा”.