जानिए Congress अध्यक्ष पद के मजबूत दावेदार Digvijaya Singh के बारे में जिन्होंने नगर पालिका परिषद अध्यक्ष से रखा था राजनीति में कदम

Digvijaya Singh 1969 में राघोगढ़ नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष बने थे जिसको उन्होंने दो साल तक के लिए संभाला. हालांकि दिग्विजय सिंह साल 1977 से सक्रिय राजनीति में आए ओर 1977 में राघोगढ़ विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा ओर जीता.

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जानिए Congress अध्यक्ष पद के मजबूत दावेदार Digvijay Singh के बारे में जिन्होंने नगर पालिका परिषद अध्यक्ष से रखा था राजनीति में कदम - APN News

राजनीतिक गलियारों में दिग्गी राजा के नाम से मशहूर दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) जो दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चूके हैं ने भी देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए हो रहे चुनाव के लिए 30 सितंबर को नामांकन भरने जा रहे है.

(Digvijay Singh) मध्‍य प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री होने के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी के वरिष्‍ठ नेता है. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें भोपाल से चुनाव लड़ा था हैं जिसमें उन्हें भाजपा की साध्‍वी प्रज्ञा ने हरा दिया है.

28 फरवरी 1947 को मध्य प्रदेश के इंदौर में दिग्विजय सिंह का जन्म हुआ था. दिग्विजय सिंह के पिता बालभद्र सिंह ग्वालियर के राघोगढ़ (वर्तमान में गुना) के राजा के रूप में जाने जाते थे. दिग्विजय ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई श्री गोविन्द्रम सेकसरिया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एवं साइंस (SGSITS) कॉलेज, इंदौर से हुई है.

दिग्विजय सिंह कांग्रेस का महासचिव हैं इसके अलावा उन्होंने कई राज्यों का प्रभार भी संभाला है. इनमें असम, महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गोवा और बिहार शामिल हैं.

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rahul gandhi digvijaya singh 1

राजनैतिक जीवन

दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) 1969 में राघोगढ़ नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष बने थे जिसको उन्होंने दो साल तक के लिए संभाला. हालांकि दिग्विजय सिंह साल 1977 से सक्रिय राजनीति में आए ओर 1977 में राघोगढ़ विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा ओर जीता. दिग्विजय सिंह 5 बार मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे.

दिग्विजय सिंह को साल 1980 से 1984 के बीच मध्यप्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में कृषि, पशुपालन और मत्स्य पालन, सिंचाई विभाग का जिम्मा संभाला.

दिग्विजय सिंह को साल 1984 में मध्य प्रदेश कांग्रेस समिति का अध्यक्ष बनाया गया और इस पद पर दिग्विजय सिंह साल 1988 तक रहे.

दिग्विजय सिंह ने साल 1984 में पहली बार राघोगढ़ से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीते इसके बाद वो 1991 में फिर से राघोगढ़ से सांसद चुने गए.

साल 1993 में कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया. इसके बाद साल 1998 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद एक बार फिर से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान संभाली. वे इस पद पर साल 2003 तक रहे और काम करते रहे.

हालांकि 2003 में मिली हार के बाद कांग्रेस को मध्य प्रदेश में सत्ता में आने के लिए 15 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा. लेकिन 2 साल के बाद मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार कुछ विधायकों के पाला बदलने के चलते फिर से चली गई.

दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) साल 2014 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए थे इसके बाद से वो लगातार राज्यसभा के सदस्य हैं.

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पर्सनल लाईफ

दिग्विजय सिंह की दो शादियां हुई हैं. दिग्विजय सिंह की पहली शादी राणा आशा कुमारी से साल 1969 में हुई थी. लेकिन 2013 में कैंसर जैसी गंभीर बिमारी के चलते उनका देहांत हो गया. इसके बाद दिग्विजय सिंह ने साल 2015 में टीवी प्रस्तोता अमृता राय से शादी की. दिग्विजय सिंह के चार बच्चे हैं.

दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री के रूप में

दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मध्य प्रदेश में कई महत्वपूर्ण पहलें कीं. इन पहलों में पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) की स्थापना और महत्वपूर्ण ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के प्रबंधन के लिए पीआरआई को अनेक शक्तियां और संसाधन उपलब्ध कराना शामिल है.

शिक्षा गारंटी योजना के माध्यम से प्राथमिक और प्राथमिक शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुंच; मध्य प्रदेश में अस्पताल सेवाओं और स्वास्थ्य वितरण प्रणाली में सुधार के लिए एक सहभागितापूर्ण जलग्रहण विकास कार्यक्रम, एक जिला गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम, रोग कल्याण समिति और जन स्वास्थ्य रक्षक-अग्रिम सरकारी प्रणाली; इनमें शामिल है. नर्मदा जलविद्युत परियोजनाएं पूरी हुईं और नई पीढ़ी के बिजली केंद्र स्थापित किए गए और मध्य प्रदेश में बिजली सुधार किए गए.

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कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव

देश की राजधानी दिल्ली के सियासी गलियारों में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सात साल बाद होने जा रहे चुनाव को लेकर खासी चर्चाओं का दौर है. अगर चुनाव होते हैं तो 17 अक्टूबर को ओर नहीं होते हैं तो 1 अक्टूबर को दो दशक बाद कांग्रेस को गांधी परिवार से बाहर का कोई अध्यक्ष मिल सकता है.

Shashi Tharoor and Digvijay Singh 1

चुनाव के लिए अहम तारीखें

22 सिंतबर 2022 को चुनाव के लिए अधिसूचना जारी की जाएगी. 24 सितंबर से 30 सितंबर तक सुबह 11 बजे शाम 3 बजे तक नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे. सभी नामांकन पत्रों की जांच के बाद 1 अक्टूबर को उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की जाएगी. 8 अक्टूबर दोपहर 3 बजे तक नामांकन वापिस ले सकते हैं. अगर एक से अधिक उम्मीदवार रहते हैं तो फिर 17 अक्टूबर को मत ड़ाले जाएंगे, वहीं 19 अक्टूबर को वोटों की गिनती होगी.

कांग्रेस का संगठन

कांग्रेस पार्टी का संगठन अलग अलग समितियों को मिला कर बना है. जिसमें अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी), कांग्रेस वर्किंग समिति (सीडब्ल्यूसी), जिला एवं ब्लॉक कांग्रेस समिति आदि.

अखिल भारतीय कांग्रेस समिति में करीब 1,500 सदस्य हैं, जो कांग्रेस वर्किंग समिति (सीडब्ल्यूसी) के 24 सदस्यों को चुनते हैं. देश में कुल 30 प्रदेश कांग्रेस समिति हैं, 5 केंद्र शासित प्रदेशों में समितियां हैं जिनमें 9,000 से अधिक सदस्य हैं.

कांग्रेस में अध्यक्ष का चुनाव

कांग्रेस के संविधान के अनुसार अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए सबसे पहले केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के सदस्यों की नियुक्ति की जाती है. कांग्रेस वर्किंग कमिटी इस प्राधिकरण का गठन करती है, जिसमें तीन से पांच सदस्य होते हैं. इनमें से ही एक सदस्य को इसका चेयरमैन बनाया जाता है.2022 में हो रहे अध्यक्ष के चुनाव के लिए मधुसूदन मिस्त्री केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के चेयरमैन हैं.

चुनाव प्राधिकरण के सदस्य चुनाव होने तक संगठन में कोई पद प्राप्त नहीं करेंगे. इस अथॉरिटी का कार्यकाल तीन साल के लिए होता है. यही चुनाव प्राधिकरण अलग अलग प्रदेशों में चुनाव प्राधिकरण का गठन करती है, जो आगे जिला और ब्लॉक में चुनाव प्राधिकरण बनाते हैं.

कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव कोई भी पार्टी सदस्य लड़ सकता है, जिसके पास प्रदेश कांग्रेस समिति के 10 सदस्यों का समर्थन हासिल हो, जिन्हें प्रस्तावक कहा जाता है.

किसी भी प्रदेश कांग्रेस समिति के 10 सदस्य मिल कर किसी कांग्रेस नेता का नाम अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के लिए प्रस्तावित कर सकते हैं.

आवेदन दाखिल करने वाले सभी नामों को रिटर्निंग अधिकारी द्वारा प्रकाशित किया जाता है. इनमें से अगर कोई भी सात दिन के भीतर अपना नाम वापस लेना चाहे तो ले सकता है.  अगर नाम वापस लेने के बाद अध्यक्ष पद के लिए केवल एक ही उम्मीदवार रहता है तो उसे अध्यक्ष मान लिया जाता है.

इस बार अगर एक ही नाम कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में रहता है तो 8 अक्टूबर को कांग्रेस के नया अध्यक्ष मिल जाएगा. लेकिन अगर दो या दो से अधिक लोग होते हैं तो फिर रिटर्निंग अधिकारी उन नामों को प्रदेश कांग्रेस समिति के पास भेजा जाएगा.

वोटिंग वाले दिन प्रदेश कांग्रेस समिति (Pradesh Congress Committee) के सभी सदस्य उसमें हिस्सा लेते हैं. प्रदेश कांग्रेस समिति के दफ्तर में वोटिंग पेपर और बैलेट बॉक्स से चुनाव होता है.

अगर अध्यक्ष पद की रेस में दो उम्मीदवार हैं – तो मत देने वालों को किसी एक का नाम लिख कर बैलेट बॉक्स में डालना होता है ओर मत देने वाले को वरीयता 1 और 2 नंबर के माध्यम से लिखना होता है. दो से कम वरीयता लिखने वालों के मतों को अमान्य करार दे दिया जाता है. हालांकि वोटिंग करने वाले दो से अधिक वरीयता दे सकते हैं.

प्रदेश कांग्रेस समिति में जमा किए गए बैलेट बॉक्स को गणना के लिए एआईसीसी कार्यालय भेजा जाता है.

एआईसीसी में बैलेट बॉक्स आने के बाद रिटर्निंग ऑफिसर के मौजूदगी में वोटों की गिनती शुरू की जाती है. सबसे पहले पहले प्राथमिकता वाली वोटों की गिनती की जाती है. जिस उम्मीदवार को 50 फीसदी से अधिक मत मिलते हैं, उसे अध्यक्ष घोषित कर दिया जाता है.

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