राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए Electoral Bonds की बिक्री का ऐलान, जानिए चुनावी बॉन्ड योजना के बारे में और इससे कैसे दे सकते हैं पार्टियों को चंदा

Electoral Bonds की बिक्री गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले होगी. इस वर्ष के अंत तक गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिसको लेकर चुनाव आयोग द्वारा तारीखों की घोषणा कुछ ही दिनों में होने की संभावना है.

0
2883
राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए Electoral Bonds की बिक्री का ऐलान, जानिए चुनावी बॉन्ड योजना के बारे में और इससे कैसे दे सकते हैं पार्टियों को चंदा - APN News
Electoral Bonds

केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा गुरुवार 29 सितंबर को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को बिक्री के 22वें चरण में, 01 अक्टूबर 2022 से 10 अक्टूबर 2022 तक अपनी 29 अधिकृत शाखाओं के जरिये चुनावी बॉन्‍ड (Electoral Bonds) जारी करने और भुनाने के लिए मंजूरी दे दी गई है.

Electoral Bonds की बिक्री गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों से होगी. इस वर्ष के अंत तक गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिसको लेकर चुनाव आयोग द्वारा तारीखों की घोषणा कुछ ही दिनों में होने की संभावना है.

वित्त मंत्रालय के अनुसार इलेक्टोरल बॉन्ड जारी होने की तारीख से पंद्रह कैलेंडर दिनों के लिए वैध होंगे और वैधता खत्म होने के बाद जमा किए जाने पर किसी भी राजनीतिक दल को कोई भुगतान नहीं किया जाएगा. पात्र राजनीतिक दलों को अपने खाते में जमा किए गए चुनावी बॉन्‍ड की राशि उसी दिन खाते में जमा हो जाएगी.

अभी कुछ दिन पहले ही देश के मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) राजीव कुमार ने चुनावों में कालेधन के इस्तेमाल पर रोक और चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर विधि मंत्रालय (Law Ministry) को जो पत्र लिखकर राजनीतिक पार्टियों को एक व्यक्ति से एक बार में मिलने वाले नकद चंदे की सीमा 20,000 से घटाकर 2,000 रुपये करने और कुल चन्दे में नकद को 20 फीसदी या अधिकतम 20 करोड़ रुपये तक सीमित रखने के लिए जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया है.

एसबीआई द्वारा जुलाई 2022 में जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में शुरु होने के बाद से 2022 तक राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड (Electoral Bonds) के जरिये मिले कुद चंदे की रकम 10,246 करोड़ रुपये है. इससे पहले इस साल (2022) अप्रैल में की गई इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री के जरिये राजनीतिक दलों को 648.48 करोड़ रुपये तो वहीं जुलाई में की गई बिक्री से 389.5 करोड़ रुपये का चंदा मिला था.

ये भी पढ़े – जानिए Congress अध्यक्ष पद के मजबूत दावेदार Digvijaya Singh के बारे में जिन्होंने नगर पालिका परिषद अध्यक्ष से रखा था राजनीति में कदम

चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond)

party funding 1
Electoral Bonds Sale

भारत सरकार द्वारा 2 जनवरी 2018 की गजट अधिसूचना संख्या 20 के जरिये चुनावी बॉन्‍ड योजना 2018 को अधिसूचित किया गया था.

चुनावी बॉण्ड को लेकर सबस पहले चर्चा तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वर्ष 2017 के आम बजट में की थी.

2017 में कहा गया था कि आरबीआई एक प्रकार का बॉण्ड जारी करेगा और जो भी व्यक्ति राजनीतिक पार्टियों को चेदा देना चाहता है, वह पहले बैंक से बॉण्ड खरीदेगा फिर वह इस बॉन्ड को जिस भी राजनैतिक दल को देना चाहता है दे सकता है.

चुनावी बॉण्ड एक प्रॉमिसरी नोट की तरह होता है, जिस पर बैंक द्वारा किसी भी प्रकार का ब्याज नहीं दिया जाएगा. चुनावी बॉण्ड को केवल चैक या ई-भुगतान के माध्यम से ही खरीदा जा सकता है.

चुनावी बॉण्ड स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की विशेष शाखाओं (देशभर में 29 शाखाएं) में मिलते हैं और ये एक हजार, दस हजार, एक लाख और एक करोड़ रुपए के गुणक (मल्टीपल) में होते हैं. ये बॉण्ड खरीदे जाने के बाद केवल 15 दिनों तक मान्य रहते हैं.

इन बॉण्ड का एक वर्ष के केवल चार महीनों – जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में 10 दिनों के लिये खरीदा जा सकता है. जिस भी वर्ष देश में आम चुनाव (General Elections) होते हैं उस वर्ष में बॉण्ड खरीदी की सुविधा 30 दिनों के लिये होती है.

ये भी पढ़े – लगभग 10 महीने बाद नये CDS की नियुक्ति, लेफ्टिनेंट जनरल Anil Chauhan होंगे भारत के नये मुख्य रक्षा अधिकारी, जानिए इनके बारे में

कौन खरीद सकता है बॉन्ड?

योजना के प्रावधानों के अनुसार चुनावी बॉन्‍ड वह व्यक्ति खरीद सकता है, जो भारत का नागरिक है या भारत में निगमित (Registered) या स्थापित (Established) है. कोई एक व्यक्ति भी चुनावी बॉन्‍ड खरीद सकता है, ऐसा वह या तो अकेले कर सकता है या अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर कर सकता है.

बॉण्ड को खरीदते समय बैंक के माध्यम केवाईसी नियमों का पालन करना होता है, हालांकि बॉण्ड पर देने वाले के नाम नहीं लिखा जाता है.

SBI 1
Electoral Bonds Sale

किन दलों को दिए जा सकते हैं बॉन्ड

जारी किए गए दिशानिर्देशों के अनुसार केवल वे राजनीतिक दल जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, (Representation of the People Act,1951) की धारा 29ए के तहत पंजीकृत हैं और जिन्हें लोक सभा या राज्य विधान सभा के लिए हुए पिछले आम चुनाव में कम से कम एक फीसदी वोट मिले हैं, चुनावी बॉन्‍ड लेने के लिए पात्र माने जाते हैं. चुनावी बॉन्‍ड एक पात्र राजनीतिक दल के द्वारा अधिकृत बैंक के साथ एक बैंक खाते के माध्यम से ही भुनाया जाएगा, यानि बॉन्ड को कैश में नहीं बदला जा सकता है.

लोकसभा चुनावों से ठीक पहले (जनवरी से मार्च 2019 के बीच) 1,700 करोड़ रुपए के चुनावी बॉन्ड खरीदे गए थे. वहीं, अप्रैल से मई 2019 में लोकसभा चुनावों के दौरान 3,078 करोड़ रुपए के चुनावी बॉन्ड खरीदे गए. 

क्या है उद्देश्य

चुनावी बॉण्ड का उद्देश्य राजनीतिक दलों को दिये जाने वाले नकद व गुप्त चंदे को रोकना है. जब चंदे की राशि नकदी में दी जाती है, तो पैसे कहां से आये ये पता नहीं चल पाता है इसके अलावा दानदाता के बारे में एवं यह धन कहां खर्च किया गया, इसकी भी कोई जानकारी नहीं मिल पाती थी.

इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा नकद चंदे की सीमा को 20 हजार से घटाकर मात्र 2 हजार कर दिया था.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here