योगी सरकार जिस तरह मुगलसराय स्टेशन का नाम दीनदयाल उपाध्याय कराने पर जोर दे रही है, ठीक ऐसा ही कुछ महाराष्ट्र में भी बदलाव देखने को मिला है। महाराष्ट्र राज्य शिक्षा बोर्ड ने इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में से मुगल शासन काल को गायब करना शुरू कर दिया है। इस योजना की पहल पिछले साल ही शुरू हो गई थी। इतिहास विषय कमेटी के सदस्य बापू साहब शिंदे ने कहा कि पिछले साल राज्य के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने एक मीटिंग करवाई थी जिसमें उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम को संशोधित करने की आवश्यकता है। इन संसोधनों में मुगल शासन को हटवाकर आधुनिक भारत के घटनाओँ को शामिल करने की योजना बनीं। हालांकि तावड़े की तरफ से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
इस शिक्षण वर्ष में बोर्ड ने सातवीं और नौवीं क्लास के लिए इतिहास की संशोधित टेक्स्टबुक्स प्रकाशित किया है। इस टेक्स्टबुक्स में कई परिवर्तन देखने को मिला है। सातवीं क्लास की पुस्तकों में से उन चैप्टर्स को हटा दिया गया है जिसमें मुगलों और मुगल शासन से पहले भारत के मुस्लिम शासकों जैसे रजिया सुल्ताना और मुहम्मद बिन तुगलक के बारे में उल्लेख था। साथ ही शाहजहां द्वारा बनवाया गया ताजमहल, लाल किले के जिक्र को भी किताब से हटा दिया गया है। नौवीं क्लास में संशोधन के नाम पर आपातकाल और बोफोर्स का जिक्र किया गया है।
किताबों में भारत के इतिहास के महान शासक अकबर को कुछ ही लाइनों में सिमटा दिया गया है। जबकि मराठा साम्राज्य का उल्लेख विस्तृत तरीके से किया गया है। ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि ऐसा बदलाव कहां तक सही है? खबर आई थी कि पाकिस्तान भी अपने पाठ्यपुस्तकों में तथ्यों को तोड़मरोड़ कर अपने बच्चों को चीजों से अनभिज्ञ कर रहा है। साथ ही वो गलत तथ्य भी पेश कर रहा है। ऐसे में उनके और हमारे में क्या अंतर रह जाएगा?