मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार ने प्रदेश में मीसा बंदियों की पेंशन को फिलहाल अस्थाई तौर पर बंद कर दिया है। सरकार का कहना है, जिन्हें पेंशन मिलती है उसकी जांच के बाद इसे फिर से शुरू किया जाएगा। हालांकि इस जांच में कितना वक्त लगेगा यह अभी साफ नहीं है।
इस फैसले के बाद मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार भारतीय जनता पार्टी के निशाने पर आ गई है। इसे लेकर बैंकों को भी निर्देश जारी कर दिये गए हैं। बता दें मीसाबंदी पेंशन को लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि के नाम से भी जाना जाता है।
इस संबंध में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने गत 29 दिसंबर को सर्कुलर जारी कर मीसाबंदी पेंशन योजना की जांच के आदेश दिए। सरकार ने बैंकों को भी मीसाबंदी के तहत दी जाने वाली पेंशन जनवरी 2019 से रोकने के निर्देश जारी किए हैं।
सर्कुलर के मुताबिक लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि भुगतान की वर्तमान प्रक्रिया को और अधिक सटीक एवं पारदर्शी बनाया जाना आवश्यक है। साथ ही लोकतंत्र सैनिकों का वेरिफिकेशन कराया जाना भी जरूरी है। इसके लिए सीएजी की रिपोर्ट को आधार बनाया गया।
बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान वर्ष 1975 से 1977 के बीच लगे आपातकाल में जेल में डाले गए लोगों को मीसाबंदी पेंशन योजना के तहत मध्य प्रदेश में करीब 4000 लोगों को 25,000 रुपये मासिक पेंशन दी जाती है।