मध्य प्रदेश सरकार ने वर्षों से चली आ रही अप्रैल से मार्च के बीच वित्त वर्ष की परंपरा को खत्म कर दिया है। शिवराज सरकार ने मंगलवार को कैबिनेट बैठक में वित्तीय वर्ष 1 जनवरी से 31 दिसंबर तक करने का फैसला लिया है। बदले हुए नियम के मुताबिक, इस साल राज्य का बजट दिसंबर में पेश होगा। मध्य प्रदेश नया वित्तीय वर्ष अपनाने वाला देश का पहला राज्य बनेगा।

एमपी सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने कहा, ‘वर्तमान वित्तीय वर्ष दिसंबर में समाप्त होगा। बजट सत्र दिसंबर-जनवरी में होगा। एमपी देश का ऐसा इकलौता राज्य होगा, जो मार्च में वित्तीय वर्ष खत्म होने की परंपरा को खत्म कर नई शुरुआत करेगा।’ उन्होंने आगे कहा, ‘हर तीन महीने में सभी विभागों का रिव्यू किया जाएगा। सीएम के ऑर्डर के मुताबिक, सरकार के लेटर हेड और बैनर पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के फोटो का लोगो लगाया जाएगा।’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सहमति मिलने के बाद ही शिवराज सरकार ने यह बड़ा फैसला लिया है। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, नीति आयोग की बैठक के दौरान नरेंद्र मोदी ने इस बात का समर्थन किया था। पीएम मोदी ने 23 अप्रैल को इस मामले पर सहमति जताई थी। इससे कई तरह के बदलाव आएंगे जिसमें बजट की तारीख, वित्त वर्ष और इनकम टैक्स भरने की तारीख में बदलाव शामिल है। बता दें कि केंद्र सरकार भी वित्तीय वर्ष मार्च की जगह जनवरी से शुरू करना चाहती है। इसे लेकर राज्यों से बातचीत जारी है।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा, ‘केंद्र सरकार चाहती है कि वित्तीय वर्ष जनवरी से दिसंबर के बीच हो। इसमें प्रशासनिक दिक्कत अधिक नहीं है। लेकिन, अगर वित्तीय वर्ष को जनवरी से दिसंबर का कर दिया जाए तो इससे देश में विकास के कार्यों में और तेजी आएगी। साथ ही देश के किसानों और दूसरे वर्ग को भी काफी फायदा होगा।’ उन्होंने आगे कहा, ‘एडमिस्ट्रेशन के कामकाज में बदलाव नहीं होगा, लेकिन काम करने के लिए वक्त ज्यादा होगा। पूर्वोत्तर राज्यों और पहाड़ी इलाकों में अभी मार्च से मार्च तक के फाइनेंशियल ईयर की वजह से सर्दियों और बर्फबारी के समय में काम नहीं हो पाता है। ऐसे में उनके पास काम करने के लिए केवल 6 से 7 महीने ही होते हैं। तीन महीने काम नहीं होता है। इस फैसले से ये राज्य जनवरी से काम करना शुरू कर देंगे।’

पनगढ़िया ने कहा, ‘किसानों की बात करें तो उनका काम करीब-करीब दिसंबर तक खत्म हो जाता है। लेकिन मंडी या बाजार से फाइनेंशियल ईयर की वजह से पैसा मार्च या अप्रैल तक मिलता है। इससे तीन से चार महीने इंतजार करना पड़ता है। इससे उन्हें जनवरी में ही पैसा मिलने लगेगा। यह पैसा बाजार में लगाएंगे या खर्च करेंगे तो अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।’

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