‘मीटू’ अभियान के जरिये सामने आ रहे यौन दुर्व्यवहार के मुद्दों की जांच के लिये सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की एक समिति गठित करने का फैसला किया है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने ट्वीट कर कहा कि मंत्रालय ऐसे मुद्दों की जांच के लिये एक समिति का गठन करेगा जिसमें वरिष्ठ न्यायाधीश और कानून विशेषज्ञों को सदस्य के तौर पर शामिल किया जाएगा। मंत्री मेनका गांधी ने कहा, ” मैं प्रत्येक शिकायत के पीछे दर्द और सदमे को समझती हूं। कार्यस्थलों पर यौन प्रताड़ना के मामलों से ‘कतई बर्दाश्त नहीं’ की नीति से निपटा जाना चाहिए।”
“I believe in the pain and trauma behind every single complaint. Cases of #SexualHarassmentAtWork must be dealt with a policy of zero tolerance,” Smt. @ManekaGandhiBJP on #MeTooIndia#DrawTheLine pic.twitter.com/UhDRqyeRkw
— Ministry of WCD (@MinistryWCD) October 12, 2018
उन्होंने कहा है कि यह समिति कार्यस्थल पर यौन प्रताड़ना के मामलों से निपटने के लिए कानूनी एवं संस्थागत प्रक्रिया को देखेंगी और पूरी प्रक्रिया को मजबूत करने के सुझाव देगी। गांधी ने कहा कि सरकार ने कार्यस्थलों में महिलाओं के साथ यौन प्रताड़ना के मामलों को लेकर ‘कतई बर्दाश्त नहीं’ की नीति अपनायी है। इस नीति में सरकारी, अर्ध सरकारी, निजी कंपनियों, कारखानों और घरेलू स्तर पर काम करने वाली महिलाओं को शामिल किया गया है। इनके दायरे में कार्यालयों में आने वाली बाहरी महिलायें भी शामिल है।
उन्होंने कहा कि कार्यस्थलों पर महिलाओं को सुरक्षित बनाने के लिये प्रत्येक संस्थान में अंदरुनी शिकायत समिति का गठन करना अनिवार्य है।ऐसे मामलों में सरकार की ओर से सभी तरह की मदद का आश्वासन देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सभी वर्गों की सभी महिलाओं को बिना किसी डर के ऐसे मामलों की रिपोर्ट करनी चाहिए।
-साभार, ईएनसी टाईम्स