विजय माल्या जैसे भगोड़ों को कानून के शिकंजे में कसने के इरादे से केंद्र सरकार एक विधेयक लाने जा रही है। ‘फरार आर्थिक अपराधी विधेयक, 2017’ नाम के इस विधेयक में ‘फरार आर्थिक अपराधियों’ की संपत्ति जब्त करने का प्रावधान है। संसद से पारित हो जाने के बाद यह विधेयक आर्थिक अपराधों से जुड़े अन्य कमजोर आर्थिक अपराध कानूनों की जगह ले लेगा। सरकार ने इसके लिए बिल तैयार कर लिया है और 3 जून तक सभी हितधारकों, अन्य संबंधित लोगों और जनता से सुझाव मांगे गए हैं।

इस विधेयक के अनुसार कर्ज लेकर भाग जाने वाले, घोटाला  करने  वाले, एनपीए करने वाले अपराधियों को ‘आर्थिक अपराधी’ कहा जाएगा। ऐसे आर्थिक अपराधियों के खिलाफ गिरफ़्तारी वारंट जारी करते हुए उन्हें ‘फरार आर्थिक अपराधी’ घोषित किया जाएगा। इसके लिए शोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ‘विशेष न्यायालय’ बनाने का भी प्रावधान है। इस न्यायालय का अस्तित्व तब तक बना रहेगा जब तक कथित भगोड़ा आर्थिक अपराधी  भारत ना आ जाए और अपने आप को उचित न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत ना कर दे। इस विधेयक के अंतर्गत 100 करोड़ या उसके ऊपर के मूल्य के आर्थिक अपराध आएंगे। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि न्यायालयों के ऊपर अतिरिक्त बोझ ना आए।

वित्त मंत्रालय ने अपने एक जारी बयान में कहा कि, ‘अक्सर ऐसा होता है कि कमजोर कानूनों की वजह से अधिक मूल्यों के आर्थिक अपराधी कानूनी प्रक्रिया को धता बताते हुए भारत से भाग जाते हैं।ऐसे में यह जरुरी है कि इस तरह की कार्रवाई पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी, अविलंब और संवैधानिक रूप से मान्य एक कानून लाया जाए।’

इस विधेयक में दोषी करार दिए गए व्यक्ति का संपत्ति जब्त करने का प्रावधान रखा गया है। विधेयक में यह भी प्रावधान रखा गया है कि कानूनी प्रक्रिया में शामिल होने के लिए भारत आने से इंकार करने वाले व्यक्ति को ई-नोटिस जारी किया जाएगा। ये नोटिस उनके आधार या पैन कार्ड पते पर भेजा जाएगा। इसके बाद उसकी संपत्ति को जब्त किया जाएगा। इस जब्त संपत्ति  द्वारा अर्जित रकम को उक्त व्यक्ति की धोखाधड़ी के शिकार व्यक्तियों या संस्था और ऋण देने वाले व्यक्तियों या संस्था को बांट दिया जाएगा। यह कानून बन जाने की स्थिति में सरकार उन सभी अपराधियों की संपत्ति जब्त कर सकेगी जो कि आर्थिक अपराध मामलों में दोषी पाए जा चुके हैं, लेकिन गिरफ्तारी का वारंट जारी होने के बाद खुद को बचाने के लिए वे विदेश भाग गए हैं।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार यह प्रस्ताव ऐसे वक्त में लेकर आई है जब विजय माल्या जैसे बड़े व्यवसायी भारतीय बैंकों का 9 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेकर देश से फरार हो गए हैं।  विजय माल्या इस वक्त लंदन में हैं। भारत माल्या को वापस लाने के लिए लंबे वक्त से कोशिश कर रहा है, लेकिन अभी तक उसे सफलता नहीं मिली है। भारत की अपील पर ब्रिटिश सरकार ने  विजय माल्या को गिरफ्तार किया था, जिसके तुरंत बाद उन्हें जमानत भी मिल गई थी। हालांकि माल्या की गिरफ्तारी के बाद उनके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। उम्मीद है कि इस कानून के बन जाने के बाद माल्या के प्रत्यर्पण में और आसानी होगी।

बताते चले कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 1 फरवरी को पेश किए गए अपने बजट में इस सम्बन्ध में घोषणा की थी। जेटली ने कहा था कि सरकार कानूनी बदलाव करने या नया कानून लाने पर विचार कर रही है, जिससे इस तरह के भगोड़ों की संपत्ति तब तक के लिए जब्त की जा सके, जब तक कि वे उचित कानूनी मंच पर प्रस्तुत नहीं होते।

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