2019 के लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे है, राजनीतिक बिसात बिछती जा रही है। 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां 80 में से 71 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2019 में अपने बलबूते पर अगर बीजेपी फिर से केंद्र में सरकार बनाना चाहती है तो उसे उत्तर प्रदेश में अपनी जीत दोहरानी होगी।

इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए योगी सरकार उत्तर प्रदेश में नए जातीय समीकरण तैयार किया है। सरकार ने सिख और मुस्लिम जाटों को लुभाने की कोशिश की है। अभी तक प्रदेश में सिर्फ जाटों को अन्य पिछड़ा वर्ग में आरक्षण का लाभ मिलता था लेकिन, अब उत्तर प्रदेश के मूल निवासी मुस्लिम और सिख जाटों को भी ओबीसी का लाभ मिल सकेगा।

इसके लिए पिछड़ा वर्ग कल्याण निदेशक की ओर से जारी शासनादेश में सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को ओबीसी के अंतर्गत जाति प्रमाण जारी करने को निर्देशित किया है। अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख ने गुरुवार को रामपुर में भाजपा जिला महामंत्री हंसराज पप्पू के आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए पांच दिसंबर को जारी शासनादेश की प्रतियां उपलब्ध कराते हुए इस आशय की जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के सिख और मुस्लिम जाटों को अब ओबीसी का लाभ मिलने लगेगा। उत्तर प्रदेश में लाखों सिख और मुस्लिम जाट रहते हैं, ये वर्ष 1999-2000 से जाटों की तरह ही पिछड़ी जाति के आरक्षण के लाभ के लिए संघर्षरत थे। कई बार इसकी मांग ज्ञापनों तो कई बार मंचो से की गई थी। जिसे अब आकर सरकार ने मान लिया है।।

राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख का कहना है कि उत्तर प्रदेश में करीब 38 से 40 लाख सिख एवं मुस्लिम जाट हैं, जिन्हें अब ओबीसी का लाभ मिल सकेगा। उन्होंने कहा, सिख और मुस्लिम जाटों को चुनाव से लेकर नौकरी तक में ओबीसी केटोगरी को मिलने वाली सभी सहूलियतों का लाभ अब मिलेगा। इसके लिए लंबे समय से हम लोग प्रयास कर रहे थे, जिसे मुख्यमंत्री जी ने मंजूरी दे दी और राजाज्ञा आप सबके सामने है।

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