आम आदमी पार्टी में पिछले कुछ दिनों से जारी कलह पर फ़िलहाल विराम लगता नजर आ रहा है। अरविन्द केजरीवाल और कुमार विश्वास की कल रात हुई बातचीत और आज हुई पीएसी की बैठक के बाद यही संकेत मिल रहे हैं। आज हुई पीएसी की बैठक में विवाद की वजह बने अमनातुल्लाह खान को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया है जबकि कुमार विश्वास को राजस्थान का प्रभारी बनाया गया है। आप पीएसी की आज हुई बैठक में कुमार विश्वास भी शामिल हुए। इससे पहले उनके शामिल होने और आप में उनके भविष्य को लेकर तमाम अटकलें लगाई जा रही थी। माना जा रहा है कि यह फैसले रूठे कुमार को मनाने और आप में उनके विश्वास को कायम रखने की दिशा में उठाये गए हैं। केजरीवाल से हुई बातचीत और पीएसी में अपनी बात मनवाने के बाद कुमार ने ट्वीट कर अपनी ख़ुशी जाहिर की है।

कुमार विश्वास और ओखला से विधायक अमनातुल्लाह खान के बीच विवाद इतना बढ़ गया था कि कुमार ने मीडिया से बात करते हुए पार्टी छोड़ने के संकेत दे दिए थे। इस दौरान वह काफी भावुक नजर आ रहे थे। आपको बता दें कि लोक जनशक्ति पार्टी से आम आदमी पार्टी में शामिल हुए ओखला से विधायक अमनातुल्लाह खान ने कुमार को बीजेपी और आरएसएस का एजेंट बताया था। जिसके बाद से कुमार उन्हें पार्टी से निलंबित करने की मांग कर रहे थे। कुमार ने अपने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा था कि वह कोई बड़ा फैसला लेंगे। जिसके बाद अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसोदिया उनके घर उन्हें लेने पहुंचे। इससे पहले अरविन्द केजरीवाल ने कहा था कि हम कुमार को मना लेंगे और आज के फैसलों से तो यही लगता है कि केजरीवाल कुमार के विश्वास को कायम रखने में सफल रहे।

kumarगौरतलब है कि कुमार विश्वास काफी समय से पार्टी से नाराज चल रहे हैं। पार्टी के फैसलों से भी वह दूर रहे हैं। उन्होंने पंजाब गोवा चुनाव के अलावा दिल्ली के राजौरी गार्डन उपचुनाव और एमसीडी चुनावों से भी खुद को दूर रखा था। पार्टी को चुनावों में मिली हार के बाद उन्होंने एक वीडियो जारी किया था। जिसमे अरविन्द केजरीवाल के फैसलों पर सवाल उठाये गए थे। हालांकि कुमार का वीडियो कश्मीर में सेना के जवानों से हुई बदसलूकी पर था लेकिन इसमें उन्होंने केजरीवाल को भी अपने लपेटे में लिया था। बाद में उन्होंने अपने इंटरव्यू में भी आप नेताओं को खरी खोटी सुनाई थी और फैसलों पर ऊँगली उठाई थी। जिसके बाद अमनातुल्लाह खान ने उन्हें बीजेपी एजेंट कहा था। मनीष सिसोदिया ने उन्हें अपनी बात पार्टी बैठक में कहने की सलाह दी थी। इस फैसले और कुमार की शर्तों को मानने के पीछे एक वजह यह भी है कि लगातार छः हार का सामना कर चुकी आप और केजरीवाल ऐसे वक़्त में अपने संस्थापक सदस्य को निकलकर जनता के मन में अपनी नकारत्मक छवि नहीं बनने देना चाहते थे। कुल मिलाकर देखें तो आप की अंदरूनी कलह फ़िलहाल थम गई है लेकिन कब तक यह कहना थोडा मुश्किल है।

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