झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ ने एक बड़ी कामयाबी के तहत हार्डकोर नक्सली नकुल और मदन का सरेंडर कराया है । उम्मीद जताई जा रही है कि इन दो बड़े नक्सलियों के सरेंडर के बाद माओवादी संगठन को बड़ा झटका लगा है और इन्हे देखकर कई नक्सली मुख्यधारा में वापस आयेंगे। राज्य में माओवादी उग्रवादियों के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान में झारखण्ड पुलिस की यह बड़ी कामयाबी मानी जा रही है।

ढाई दशक तक नक्सल गतिविधियों में शामिल और 150 से अधिक मामले में वांछित बिहार रीजनल कमाण्डर नकुल यादव के साथ एक नक्सली का सरेंडर पुलिस ने कराया है। दूसरा नक्सली मदन यादव है जो भाकपा माओवादी संगठन में जोनल कमांडर था। नकुल के ऊपर 15 लाख और मदन के ऊपर 5  लाख रूपये का पुलिस ने इनाम रखा था। दोनों का इलाका लोहरदगा और चतरा समेत गुमला पलामू और रांची रहा है।  लगभग 47 साल के नकुल यादव के खिलाफ लोहरदगा के अलग अलग थाना इलाके में 54 मामले दर्ज हैं। वही मदन के खिलाफ भी दर्जनों मामले दर्ज हैं।

एडीजी झारखण्ड आरके मल्लिक ने सरेंडर कार्यक्रम मौके पर कहा कि ये समर्पण देश के सविंधान के प्रति आस्था है। राज्य सरकार की सरेंडर पालिसी का नक्सली लाभ लें और समाज की मुख्यधारा में शामिल हों। वहीँ सीआरपीएफ आई जी संजय लाटकर ने कहा कि ये एक बड़ी उपलब्धि है जिससे नक्सल संगठन को बड़ा झटका लगा है।

एंटी नक्सल ऑपरेशन के दौरान सुरक्षा बलों ने सरेंडर करने वाले नक्सली नकुल की निशानदेही पर बड़ी मात्रा में हथियार भी बरामद किया है। उनमे एक 7.62 एलएमजी, एक सेमी आटोमेटिक राइफल, दो 303 बोर राइफल, एक एसएलआर राइफल,  3 इंसास राइफल 3000 से अधिक गोलियां बरामद हुई हैं। इसके अलावे कोडेक्स वायर, चार्जर वॉकी टॉकी और कपडे बरामद किये गए हैं।  सरेंडर के बाद नकुल ने नक्सलियों से मुख्यधारा में लौटने का आह्वान किया है। नकुल पर बच्चों को नक्सली संगठन में जबरन शामिल करने का आरोप लगता आया था जिससे उसने इंकार किया है।

झारखण्ड पुलिस लगातार नक्सलियों खिलाफ अभियान चला रही है ऐसे में नक्सलियों के सामने केवल दो रास्ते बचे हैं या तो वह कानून की शरण में आये या फिर गोली का सामना करने के लिए तैयार रहें। क्योंकि इसका इशारा झारखण्ड डीजीपी ने कर है दिया है।इन नक्सलियों के सरेंडर करने के बाद राज्य में और नक्सलियों के मुख्यधारा में लौटने की उम्मीद जगी है इसके अलावा नक्सली गतिविधियों में कमी आने की भी उम्मीद जताई जा रही है। कुल मिलकर हाल के दिनों में सीआरपीएफ की यह बड़ी कामयाबी है।

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