झारखंड हाइकोर्ट में 514 फर्जी नक्सलियों के सरेंडर मामले की सीबीआई से जांच कराने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह और जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के जवाब पर असंतोष प्रकट किया।

साल 2014 में झारखंड में 514 छात्रों को कथित नक्सली बताकर फेक तरीके से सरेंडर कराने के मामले में रांची हाईकोर्ट ने राज्य के गृह सचिव को नोटिस जारी किया है। साथ ही कोर्ट ने गृह सचिव को अगली सुनवाई में हाजिर होने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 6 सितंबर को होगी। हाईकोर्ट ने कैमरा प्रोसीडिंग करने का भी आदेश दिया है। सुनवाई के दौरान सिर्फ हाईकोर्ट के जस्टिस और गृह सचिव मौजूद रहेंगे।

सरकार के रवैये पर नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट की खंडपीठ ने गृहसचिव को सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दिया। कहा कि ओरिजनल डॉक्यूमेंट के साथ 28 अगस्त को दिन के तीन बजे चेंबर में उपस्थित रहें। उस वक्त किसी भी पक्ष के अधिवक्ता उपस्थित नहीं रहेंगे। जो भी पूछताछ करनी होगी, कोर्ट स्वयं पूछताछ करेगा।

अगर पुलिस ऑफिसर से पूछताछ की जरूरत पड़ेगी, तो कोर्ट उन्हें बुला लेगा। खंडपीठ ने कहा कि यह बहुत ही संवेदनशील मामला है। उक्त निर्देश देने के पूर्व खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से दायर सीलबंद रिपोर्ट को देखा। फिर केंद्र सरकार की सीलबंद रिपोर्ट का अध्ययन किया। इससे पूर्व राज्य सरकार के विशेष वरीय अधिवक्ता राजीव रंजन ने खंडपीठ से आग्रह किया कि गृह सचिव के साथ वरीय पुलिस पदाधिकारी को भी साथ में रहने की अनुमति दी जाये।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार ने इसका विरोध किया। कहा कि पुलिस अधिकारी के रहने से गृह सचिव स्वतंत्र रूप से जानकारी नहीं  दे पायेंगे। उल्लेखनीय है कि प्रार्थी झारखंड काउंसिल फॉर डेमोक्रेटिक राइट की ओर से जनहित याचिका दायर की गयी है। प्रार्थी ने मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है।

क्या है पूरा मामला
झारखंड के बहुचर्चित फेक नक्सली सरेंडर मामले की फाइल पुलिस विभाग ने बंद कर दी है। आरोप है कि रांची के दिग्दर्शन इंस्टीट्यूट के जरिये साल 2014 मे 514 छात्रों को नक्सली बताकर फर्जी तरीके से सरेंडर कराया गया था। इस मामले में पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के शामिल होने की बात भी सामने आई थी।शुरुआती जांच में ये पाया गया था कि इनमें से सिर्फ 10 युवकों का ही नक्सली गतिविधियों से संबंध है। बाकी युवाओं को नौकरी की लालच देकर खुद को नक्सली बताने को कहा गया था।

ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन

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