ईरान के साथ कारोबारी संबंधों को लेकर अमेरिका ने अन्य देशों पर जो प्रतिबंध लगाए हैं। उन्हें 4 नवंबर के बाद हटाए जाने की संभावनाओं पर अमेरिका अभी भी अध्ययन कर रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने शुक्रवार को अपने बयान में कहा की अमेरिका अगर ये प्रतिबंध हटा लेता है तो इसका भारत पर बड़ा असर पड़ने की संभावना है, क्योंकि भारत ईरान में चाबहार पोर्ट विकसित कर रहा है, जो उसके लिए सामरिक रूप से बेहद अहम है। वहीं भारत के तेल आयात का बड़ा हिस्सा ईरान से ही आता है। माइक पोम्पियो ने अपने बयान में अमेरिकी प्रशासन की ओर से तेहरान को लेकर अपनी नीति पर बरकरार रहने की बात भी साफ की। वाशिंगटन तेहरान पर मिडिल ईस्ट में हस्तक्षेप करने के आरोप भी लगाता रहा है।

अमेरिका और ईरान के बीच 2015 में बड़ी मुश्किलों से हुए अंतरराष्ट्रीय समझौते को डोनाल्ड ट्रंप ने इस साल मई में रद्द कर दिया था। इस समझौते के बाद आर्थिक प्रतिबंधों को कम करने के बदले तेहरान अपनी न्यूक्लियर क्षमता को सीमित करने के लिए तैयार हो गया था। वहीं समझौते को रद्द करते समय ट्रंप ने कहा कि यह डील ईरान के न्यूक्लियर बम को रोकने के सभी रास्तों पर नाकाम साबित हुई, जिसके चलते फिर से प्रतिबंध लागू किया गया। इन प्रतिबंधों में ईरान के साथ व्यापारिक गतिविधियों को जारी रखने पर व्यापारियों और अन्य देशों पर सेकेंड्री पेनाल्टी लगाने का भी प्रावधान किया गया है।

अमेरिका ने साफ किया कि इन देशों को ईरान में निवेश जारी रखने या अमेरिकी बाजार की उपलब्धता में से एक को चुनना होगा। अमेरिका ने अन्य देशों को ईरान से हाथ खींचने के लिए थोड़ा वक्त और मौका दिया। हाल ही में वित्तीय लेनदेन और पेट्रोलियम के संबंध में हालिया प्रतिबंध भी लगाया गया जो 4 नवंबर से लागू होगा।

बता दे, की अमेरिकी विदेश मंत्री पोम्पियो ने न्यूज़ कॉन्फ्रेंस में कहा, “4 नवंबर की डेडलाइन से पहले कई फैसले लंबित हैं। जिसमें हम छूट देने को लेकर विचार कर रहे हैं। संभावित छूट।” वाशिंगटन चाहता है कि 4 नवंबर से सभी देश ईरान के साथ तेल आयात को रोक दें। नहीं तो अमेरिका उनपर पेनाल्टी लगाएगा. इसमें कुछ तरह की छूट दिए जाने की संभावना हो सकती है! हालांकि भारत के लिए ये थोड़ा मुश्किल भरा हो सकता है, क्योंकि भारत काफी हद तक ईरान के पेट्रोलियम पर निर्भर करता है।

पोम्पियो ने कहा, “4 नवंबर आने के साथ ही नए सिरे से नियम लागू होंगे। कोई भी अगर इस्लामिक गणराज्य ईरान के साथ आर्थिक गतिविधियों को जारी रखने को आवश्यक मानता है, तो उनके लिए ये एक अहम दिन होगा।”

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