भारत का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है। पिछली और वर्तमान सरकार की विदेश नीतियों और योजनाओं ने भारत की छवि जिस तरह पूरी दुनिया के सामने पेश की है, ये उसी का नतीजा है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र वाले देश भारत की क्षमताओं से अब पूरी दुनिया वाकिफ है। हाल ये है कि एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक यह बात सामने आई है कि एशिया- प्रशांत क्षेत्र के 25 देशों में भारत कुल मिला कर चौथी सबसे प्रमुख शक्ति है। रिपोर्ट में इसे ‘भविष्य की विशाल शक्ति’ बताया गया है लेकिन रक्षा नेटवर्क और आर्थिक संबंधों के मामले में यह अब भी पीछे है। लोवी इंस्टीट्यूट एशिया पावर इंडेक्स में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 25 देशों को विभिन्न पैमानों पर परखा जाता है।
यह सूचकांक पश्चिम में पाकिस्तान तो उत्तर में रुस और अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड तक को अपने अध्ययन में शामिल करता है। इसमें कहा गया कि भारत एशिया की सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। इसमें किसी देश की एक बड़ी शक्ति के रुप में रैंकिंग उसके आर्थिक संसाधनों , सैन्य क्षमता , लचीलेपन , भविष्य की प्रवृत्तियां , राजनयिक प्रभाव , आर्थिक संबंध , रक्षा नेटवर्क और सांस्कृतिक प्रभाव जैसे आठ मानकों पर परखने के बाद की जाती है।
जापान और भारत दोनों बड़ी शक्तियां हैं। जापान जहां स्मार्ट शक्ति है वहीं भारत भविष्य की विशाल शक्ति है। रिपोर्ट में अमेरिका जहां पूर्व – प्रतिष्ठित शक्ति है। वहीं चीन एक उभरती महाशक्ति है जो तेजी से अमेरिका के बराबर पहुंच रही है। इस सूचकांक में भारत को आर्थिक संसाधन, सैन्य क्षमता, राजनयिक प्रभाव के मानकों पर चौथे स्थान पर जबकि लचीलेपन में पांचवे स्थान पर रखा गया है। सांस्कृतिक प्रभाव और भविष्य की प्रवृत्तियों को लेकर यह तीसरे स्थान पर रहा है।