माना जाता है कि पूरे भारत वर्ष में कहीं कृषि विकास दर में बढ़ोत्तरी व किसानों की हालत सुदृढ़ हुई है तो वह मध्य प्रदेश है, लेकिन इन दिनों वहां के किसानों की हालात किसी से नहीं छुपी हैं। पिछले 18 दिनों में कुल 24 किसानों ने एमपी में आत्महत्याएं की है फिर भी एमपी में खेती से जुड़े जो रिपोर्ट सामने आई है वह थोड़ी असमंजस की स्थिती उत्पन्न करती है। शिवराज सरकार के 20 कैबिनेट मंत्रियों में से 18 कैबिनेट मंत्रियों का मानना है कि इस वर्ष राज्य सरकार को जो राजस्व में बढ़ोत्तरी मिली है उसका मुख्य स्त्रोत कृषि हैं। किसानों और कृषि उत्पाद के एकमात्र इनकम को लेकर यह बयान नरोत्तम मिश्रा, विजय सिंह, गोपाल भार्गव, प्रकाश धुर्वे, और पवैया जैसे नेताओं ने दी।

उधर, एक निजी समाचार पत्र को दिए अपने इंटरव्यू में कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने खेती की मुद्दे पर बातचीत के दौरान अपनी सरकार की उपलब्धियों गिनाना शुरु कर दिया। उन्होंने कहा पिछले कुछ सालों से कृषि उत्पादन के मामले में   मध्य प्रदेश के किसानों ने बेहतर प्रदर्शन किया है, वही छह सालों से हम दो बार ‘सबसे तेज कृषि ग्रोथ’ में ‘कर्मण अवॉर्ड्स’ प्राप्त कर रहे है। उन्होंने बताया इस साल कृषि उत्पाद में कृषि मंत्रालय ने 26 फीसदी ग्रोथ दर्ज की है। तीन सालों से लगातार हमारी ग्रोथ रेट 20 फीसदी से ऊपर जा रहा है। पत्रकार द्वारा किसानों की बदहाली, परेशानी, ऋणमाफी, आत्महत्या सहित अन्य मुद्दों पर कृषि मंत्री बिसेन ने कहा,’इस सवाल का जवाब मैं भोपाल जाकर बताऊंगा।’

बता दें कि साल 2013 में कृषि मंत्रालय द्वारा इलेक्शन कमिशन को सौपे रिपोर्ट में दावा किया है कि एमपी में कृषि ग्रोथ में लागातार वृद्धी दर्ज की जा रही है, साथ ही किसानों को बैंकों द्वारा जीरों फीसदी ब्याज पर लोन दिया जा रहा है। इतना ही नहीं शिवराज सरकार किसानों के लोन का दस फीसदी हिस्सा अपने खजाने से अदा करती है। फिर भी इतनी संख्या में किसानों का आत्महत्या क्यों कर रहे है यह एक प्रश्नचिंह बना हुआ है।

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