केंद्रीय कैबिनेट की एक अहम बैठक में मोदी सरकार ने 15वें वित्त आयोग के गठन को मंजूरी दे दी। यह नया वित्त आयोग जीएसटी से हुए बदलावों को ध्यान में रखते हुए नए सिरे से केन्द्र और राज्यों के बीच राजस्व बांटने का नया फॉर्मूला तैयार करेगा। इसके अलावा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों के वेतन बढ़ाने का भी फैसला इस बैठक में लिया गया।

कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि 15वें वित्त आयोग के गठन को मंजूरी मिल गई है, जो अप्रैल 2020 से लेकर अप्रैल 2025 तक कार्य करेगी। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाई वी रेड्डी के नेतृत्व में बना यह वित्त आयोग केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी के लिए 8वें वेतन आयोग पर काम करेगा। इसके अलावा जेटली ने बताया कि इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड में भी बदलाव किए गए हैं। हालांकि इसके बारे में विस्तृत जानकारी देने से वित्त मंत्री ने मना कर दिया।

इसके साथ ही कैबिनेट ने सुप्रीम कोर्ट और 24 उच्च न्यायालयों के जजों की सैलरी को बढ़ाने का भी फैसला लिया है। इससे सुप्रीम कोर्ट के 31 और हाईकोर्ट के 1079 जजों का फायदा होगा। इसके अलावा 2500 रिटायर जजों को भी पेंशन में फायदा मिलेगा। गौरतलब है कि पिछले ही दिनों सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या सरकार जजों का वेतन बढ़ाना भूल गई है? कोर्ट ने कहा था कि जजों का वेतन सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद नौकरशाहों से भी कम है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here