आईआईटी हैदराबाद के कुछ शोधकर्ता एक ऐसे स्मार्टफोन आधारित सेंसर पर काम कर रहें हैं जो कुछ सेकेंड्स के भीतर ही दूध में हुई मिलावट के बारे में जानकारी दे देगा। इन शोधकर्ताओं ने सबसे पहले एक डिटेक्टर सिस्टम बनाया जिससे दूध की एसिडिटी को एक इंडिकेटर पेपर से नापा जाएगा। अगर इस पेपर का रंग बदलता है तो ये पता चल जाएगा कि दूध में मिलवाट हुई है।

वहीं इन लोगों ने कुछ एल्गोरिथम पर भी काम किया है जिससे मोबाइल फोन की मदद से भी रंग के बदलाव को पहचाना जा सकेगा। बता दें कि ये टीम प्रोफेसर शिव गोविंद सिंह के नेतृत्व में काम कर रही है। वहीं इसे नवंबर 2018 के फुड एनालिटिकल मेथेड्स जनरल में भी शामिल किया जा चुका है।

सिंह ने कहा कि, क्रोमाटोग्राफी और स्पेक्ट्रोस्कॉपी से मिलवाट को पहचाना जा सकता है। लेकिन ऐसे तरीके काफी महंगे होते हैं जिन्हें सेटअप करना आसान नहीं होता है। इसलिए हम ऐसी टेक्नॉलजी लेकर आए हैं।’ उन्होंने आगे कहा कि हम चाहते हैं कि कोई आसान सी टेक्नॉलजी लोगों के लिए आए जिससे दूध में मिलावट को पहचाना जा सके।

स्मार्टफोन आधारित एल्गोरिथम स्ट्रिप के रंग को उस समय पहचान लेगा जब उसे दूध में डाला जाएगा ऐसा फोन के कैमरे की मदद से भी किया जा सकेगा। इसके बाद इसे पीएच रेंज में बदला जाएगा। स्टेटमेंट में कहा गया है कि इसकी मदद से 99.71 प्रतिशत की मिलावट को आसानी से पहचाना जा सकेगा।

बता दें कि देश में 68.7 प्रतिशत दूध में मिलावट होती है। इस बात का खुलासा एनिमल वेलफेयर बोर्ड ने किया है। इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि दूध में डिटर्जेंट पाउडर, ग्लूकोज़, यूरिया, कॉस्टिक सोडा, वाइट पेंट और तेल मिलाया जाता है। वहीं कई सारे केमिकल भी जो रोजाना धीरे धीरे आपकी जान ले रहें हैं।

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