बैंक खाते में ऑनलाइन फ्रॉड के दौरान  हुए नुकसान का खामियाज़ा अब ग्राहक नहीं बल्कि बैंक उठाएगा। दरअसल आरबीआई के नए गाइडलाइन आम लोगों के लिए एक बड़ी राहत हैं। आरबीआई ने बैंक कस्टमर्स के लिए कार्ड या ऑनलाइन फ्रॉड के मामले में शून्य और सीमित देयता के कॉन्सेप्ट की शुरुआत की है। इसके लिए ऑनलाइन फ्रॉड के तीन दिन के भीतर बैंक में  शिकायत करनी होगी।

हालांकि अगर अकाउंट होल्डर किसी से अपना पासवर्ड शेयर करता है और उसके बाद फ्रॉड का मामला सामने आता है तो उसे ख़ुद ही पूरा नुकसान उठाना पड़ेगा। कल बैंकों को जारी निर्देशों के अनुसार ऑनलाइन फ्रॉड की घटनाओं से बचने के लिए आरबीआई ने हर ट्रांजैक्शन पर एसएमएस और ईमेल अलर्ट जरूरी कर दिया है। साथ ही अलर्ट पर एक रिप्लाई का ऑप्शन भी होगा।

गौरतलब है कि बैंक ग्राहकों की जिम्मेदारी का प्रस्ताव अगस्त 2016 में पारित किया गया था। लेकिन अब आरबीआई ने अपने अंतिम दिशा निर्देशों को सामने रखा है और बैंकिंग नियमों को  सख्त बनाने की मांग की है। अनाधिकृत लेनदेन की बढ़ती शिकायतों के चलते भी केंद्रीय बैंक ने ये गाइडलाइन जारी की हैं। 

बता दें कि इसका फायदा बैंक ग्राहकों को मिलेगा। केंद्रीय बैंक ने सभी बैंकों के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि वह अपने सभी ग्राहकों के फोन नंबर रजिस्टर करे और अलर्ट संदेश की मदद से अनाधिकृत लेनदेन की जानकारी दे। यह जानकारी फोन बैंकिंग, एसएमएस, ईमेल के जरिये दी जा सकती है।

इस गाइडलाइन्स के हिसाब से जिस दिन आप शिकायत करेंगे,उसके 10 दिन के भीतर वह रकम आपके खाते में क्रेडिट हो जाएगी लेकिन अगर कस्टमर थर्ड पार्टी फ्रॉड की जानकारी देने में 3 दिन से ज़्यादा का वक्त लेता है तो उसे 25,000 रुपये तक का नुकसान खुद उठाना पड़ेगा। इंटरनेट बैंकिंग वाले कस्टमर्स के अकाउंट और कार्ड से अनअथॉराइज्ड ट्रांजैक्शन के बढ़ते मामलों को देखते हुए आरबीआई ने यह गाइडलाइन जारी किया है।

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