हाई कोर्ट ने नर्सरी स्कूलों के मामले में दिल्ली सरकार के 7 जनवरी के नॉटिफिकेशन पर रोक लगाते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। जिससे प्राइवेट अनएडिड माइनॉरिटी स्कूलों यानि निजी स्व वित्त पोषित अल्पसंख्यक विद्यालय को राहत मिली है।
बता दें कि दिल्ली सरकार ने नर्सरी स्कूलों को लेकर नॉटिफिकेशन जारी किया था जिसके तहत डीडीए की ज़मीनों पर चल रहे प्राइवेट स्कूलों पर नेबरहुड क्राइटेरिया लागू किया था यानि उन जमीनों पर जितने स्कूल हैं वो 75% ओपन सीट पर नेबरहुड के बच्चों को तवज्जो दें। इन स्कूलों की लिस्ट में 298 प्राइवेट स्कूल शामिल हैं। स्कूलों ने हाई कोर्ट में इस नॉटिफिकेशन को रद्द करने गुहार लगाई थी और तर्क दिया था कि यह नॉटिफिकेशन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 के क्लॉज 5 के खिलाफ है।
दिल्ली सरकार कोर्ट में यह साबित नहीं कर पाई कि माइनॉरिटी स्कूलों का दर्जा प्राप्त स्कूलों के लिए नेबरहुड क्राइटेरिया मानना किस नियम के अंतर्गत जरुरी है। हाई कोर्ट के फैसले के अनुसार कहा गया कि सरकार प्राइवेट स्कूलों के दाखिला अधिकार पर मनमानी नहीं कर सकती।
हाइकोर्ट ने कहा कि सरकार का नोटिफिकेशन पेरेंट्स से उनके अपनी पसंद के स्कूल में दाखिला का अधिकारों छीन रहा था, लिहाजा इसे रद्द किया जाता है। हाई कोर्ट ने कहा कि क्वालिटी एजुकेशन के नाम पर सरकार प्राइवेट स्कूलों के साथ मनमानी नहीं कर सकती है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने नर्सरी एडमिशन पर याचिकाकर्ताओं, अभिभावकों, प्राइवेट स्कूलों और राज्य सरकार की दलीलें करीब डेढ़ महीने सुनने के बाद ये फैसला दिया है। अभिभावकों की अपने बच्चों की इच्छुक स्कूलों में एडमिशन और प्राइवेट स्कूलों के निजी गाइडलाइन्स को मद्देनज़र रखते हुए अपना फैसला सुनाया। जिससे माउंट कार्मल, रेयान इंटरनेशनल, समरविला जैसे दिल्ली के बड़े स्कूलों को सुकुन मिला।