‘सेल्फी विद डॉटर’ जैसा अभियान और “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसा नारा देने वाले राज्य हरियाणा ने किसानों के लिए एक बुकलेट जारी की है जिसमें कैप्शन में ‘घूंघट’ को ‘राज्य की पहचान’ बताया गया है। अब इस बात पर विवाद खड़ा हो गया है।

दरअसल ‘कृषि संवाद’ नामक पत्रिका के हालिया अंक में घूंघट वाली महिला की तस्वीर छपी है। महिला अपने सिर पर चारा लेकर जा रही है और कैप्शन में लिखा है, ”घूंघट की आन-बान, म्हारे हरियाणा की पहचान।” यह पत्रिका राज्य सरकार की मासिक पत्रिका हरियाणा संवाद की एक परिशिष्ट है। पत्रिका के मुख्य पृष्ठ पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की भी तस्वीर छपी है।

इसी पर विपक्ष के लोगों ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा है कि यह भाजपा सरकार की ‘पिछड़ी’ सोच को दिखाता है। भाजपा आज भी चाहती है कि हमारी बहु बेटियां घर में रहे और घूंघट करे। इसी तरह तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा और वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी कहा कि ”यह भाजपा सरकार की पिछड़ी सोच दिखाता है। हरियाणा की महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं। तीन ही दिन पहले राज्य की एक युवती को मिस इंडिया का ताज पहनाया गया। राज्य की लड़कियों ने खेलों और अन्य क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ी है। भारत में जन्मी अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री दिवंगत कल्पना चावला हरियाणा से ही थीं।”

हालांकि वरिष्ठ मंत्री अनिल विज ने विपक्ष के इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने महिला सशक्तीकरण के लिए कई कदम उठाए हैं और वह इस बात का समर्थन नहीं कर रही कि महिलाओं को ‘घूंघट’ रखने के लिए विवश किया जाना चाहिए।

आपको  बता दें कि एक तरफ जहां  ‘सेल्फी विद डॉटर’ जैसा अभियान चलाकार महिला सेक्स रेट में हरियाणा सरकार वृद्धि करना चाहती है और “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसा नारा देती है जिससे कि राज्य की लड़कियां आगे पढ़े-लिखे और राज्य का नाम रोशन करें तो वहीं ऐसे नारे महिलाओं के सशक्तिकरण को पिछले पचास सालों की तरफ ढकेल देता है।

इसी तरह अगर हरियाणा सरकार ऐसे ही नारे देती रही तो वो दिन दूर नहीं जब ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’ जैसे नारे ‘घूंघट उढाओ,घर में छुपाओ’ में तब्दील हो जाएंगे।

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