तस्वीरों को ध्यान से देखिये, इसमें एक आदमी पत्थर के बड़े टुकड़े में तार को बांध रहा है तो दूसरा उसकी मदद कर रहा है। दोनों की कोशिश एडवेंचर स्पोर्स्टस या स्टंट करना समझ रहे हैं तो ऐसा नहीं है। मौत के मुहाने पर पुल और तार पर झूलती जिंदगी की ये तस्वीरें पिथौरागढ़ जिले के आपदाग्रस्त क्षेत्र की है। पिथौरागढ़ जिले के आपदाग्रस्त क्षेत्रों के हालात सामान्य होने का नाम नहीं ले रहे हैं। ताजा प्राप्त वीडियो कंपकपा देने वाला है। जहां शिक्षक तार के सहारे नदी पार कर, स्कूल जा रहे हैं।

तार छूटा तो छूटेगा जिंदगी का साथ !

इस वीडियो को देख कर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्थिति कितनी डरावनी और खतरनाक है। राजकीय विद्यालय, दानीबगड़ के लिए रोज अध्यापक इसी तरह जान हथेली पर रख कर बच्चों को पढ़ाने जाते हैं। इन तस्वीरों ने उत्तराखंड की सरकारों के दावों-वादों की पोल खोलकर रख दी है। यहां बसे दर्जनों गांवों के लोग अपनी जिंदगी पर खेलते हुए नदियों को पार कर रहे हैं जो कभी भी मौत के मुंह में समा सकते हैं।

Hanging on the wire in Pithoragarh!

नेपाल और चीन सीमा से लगे पिथौरागढ़ के सीमांत क्षेत्रों में विकास पहुंचाने के लंबे-चौड़े दावे सरकारें करती हैं। लेकिन इन दावों-वादों की पोल उसवक्त खुलकर सामने आ जाती है।  जब यहां बसे दर्जनों गांवों के लोग अपनी जिंदगी पर खेलते हुए नदियों को पार करते हैं। आज भी यहां के लोग गोरी नदी समेत उसकी सहायक नदियों को पार करने के लिए कच्चे झूलापुल और जानलेवा गरारियों का सहारा ले रहे हैं।

क्या सरकार को है बड़े हादसे का इंतजार ?

इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले गांव बलमरा, संगलतड़, गराली, तोली, हुड़की, तल्ला ,मल्ला मनकोट, धामीगांव, छोरीबगड़, सेरा, सिरतोला, गोरीपार के बारह गांव और उच्च हिमालयी गांव हैं। हम भले ही आज चांद पर पहुंच चुके हैं लेकिन गोरी नदी घाटी पर बसे ये गांव सरकारों के तमाम दावों को ठेंगा दिखा रहे हैं। आपदा प्रभावित गांवों के लिए पक्के पुल और सड़कों के बनने की उम्मीद अभी भी एक सपना ही है।

Hanging on the wire in Pithoragarh! 

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