मोदी सरकार ने ओबीसी में क्रीमी लेयर की सीमा बढ़ाकर 6 लाख से 8 लाख तक कर दी है। इसका मतलब है कि 8 लाख वार्षिक आय वाले परिवार के लोगों को भी अब अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। इससे पहले क्रीमी लेयर की सीमा 6 लाख रुपये प्रतिवर्ष थी। मोदी सरकार के कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया।
गौरतलब है सरकारी नौकरियों और केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों में ओबीसी के लिए 27 फीसदी पदों को आरक्षित रखा गया है। लेकिन क्रीमी लेयर की सीमा 6 लाख होने के कारण कई बार ओबीसी कोटा के पद उपयुक्त उम्मीदवार की कमी की वजह से खाली ही रह जाते हैं। इसलिए काफी लंबे समय से क्रीमी लेयर की सीमा को बढ़ाने की मांग हो रही थी।
#NEWS: कंद्रीय कैबिनेट का अहम फैसला- ओबीसी क्रीमी लेयर को बढ़ाया गया,अब क्रीमीलेयर की सीमा 6 लाख से 8 लाख हुई#OBCs @BJP4India @INCIndia pic.twitter.com/8FJdFvIkfY
— APN NEWS (@apnnewsindia) August 23, 2017
इसके साथ ही सरकार ने ओबीसी में शामिल पिछड़ी जातियों के वर्गीकरण के लिए भी एक कमीशन का गठन किया है। यह कमीशन ओबीसी के भीतर उपवर्ग बनाने के मुद्दे पर विचार करेगी और केंद्र सरकार को सलाह देगी। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि 12 हफ्ते में इस कमीशन की रिपोर्ट आने की उम्मीद है। इससे, उन लोगों को फायदा होगा जिन्हें अब तक इस कैटेगरी का लाभ नहीं मिल पाता था।
आपको बता दें कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) ने पहले ही ओबीसी में ऐसे वर्गीकरण सिफारिश कर चुका है। उसने केंद्र को सौंपी एक रिपोर्ट में ओबीसी के भीतर तीन उपवर्ग बनाने की सलाह दी थी। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने बताया कि एनसीबीसी ने अन्य पिछड़ा वर्ग को अति पिछड़ा वर्ग (ग्रुप-ए), अधिक पिछड़ा वर्ग (ग्रुप-बी) और पिछड़ा वर्ग (ग्रुप-सी) में बांटने की सलाह दी है।
इसके अलावा एनसीबीसी ने ओबीसी के अति पिछड़े और अगड़े समूहों में अंतर करने की भी बात कही थी। आयोग ने ओबीसी के अति पिछड़े समूह को एक अलग समूह के रूप में गठित करने की भी सिफारिश की है, जिसमें आदिवासियों और खानाबदोश जनजातियों को भी शामिल करने का सुझाव दिया गया है।