दुनिया के सबसे बड़े कुटुपोलॉग रिफ्यूजी कैंप में कुछ हथियारबंद गुटों में गैंग वार हुआ इसमें आठ लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग घायल बताए जा रहे हैं। इस कैंप में 600,000 लोग रहते हैं। इस घटना के बाद 2,000 से अधिक लोग बेघर हो गए हैं।
इस बात की जानकारी कुछ मानवधिकार कर्यकर्ताओं ने दी है और मानवाधिकारों पर काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी ट्वीट कर के इस बात की जानकारी दी है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक कॉक्स बाजार के पास शहर में तैनात अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रफीकुल इस्लाम ने फोन पर बताया कि कि वहां तनावपूर्ण स्थिति कायम है. उन्होंने बताया कि दो गुट वर्चस्व के लिए लड़ रहे हैं। माना जा रहा है कि वे मानव तस्करी और ड्रग्स तस्करी में संलिप्त हो सकते हैं। यह इलाका ड्रग्स की तस्करी के लिए जाना जाता है जो म्यांमार से लगा हुआ है।
साल 2017 अगस्त माह में अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी यानी एआरएसए ने म्यांमार के रखाइन प्रांत में पुलिस ठिकानों पर हमले किए थे।
इसके बाद से म्यांमार की सेना ने ये कहते हुए रोहिंग्या समुदाय के लोगों के ख़िलाफ़ अभियान चलाया कि वो विद्रोहियों को निशाना बना रहे हैं। सेना की जवाबी कार्रवाई के कारण रखाइन प्रांत से हज़ारों रोहिंग्या मुसलमानों का पलायन हुआ और कई गांवों को जला दिया गया।
अब तक सात लाख से अधिक रोहिंग्या मुसलमान अपना देश छोड़कर बांग्लादेश का रुख़ कर चुके हैं जहां वो शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं।
इस कैंप में आए दिन इसी तरह गोली बारी होती रहती है। कई बार तो आग भी लग जाती है फिर उसी बीच लोगों को मारा पीटा भी जाता है।
मानवाधिकार गुटों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं में 2018 से लेकर अब तक कम से कम 100 से ज्यादा रोहिंग्या लोग मारे जा चुके हैं। मानवाधिकार गुटों ने इन घटनाओं के पीछे एक्सट्रा ज्यूडिशियल किलिंग का भी आरोप लगाया है। लेकिन पुलिस का कहना है कि संदिग्ध ड्रग्स तस्करों से एनकाउंटर के दौरान क्रॉस फायरिंग की चपेट में आने से ऐसे लोगों की मौत हुई है।
हालांकि कैंप में गोलाबारी और आगजनी के बाद 12 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। कानून व्यवस्था को बरकरार रखने के लिए सेना के जवान सर्च ऑपरेशन में जुटे हैं।
बता दें कि ये रिफ्यूजी कैंप दक्षिणी बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में स्थित है। यहां पर म्यांमार में अपने घर से बेघर हो चुके रोहिंग्या मुस्लिमों ने शरण ली है।