केन्द्रीय नदी विकास और गंगा पुनर्जीवन मंत्री नितिन गडकरी ने गंगा की सफाई को लेकर उठ रहे सवालों पर लगाम लगाते हुए बुधवार को कहा, कि गंगा सफाई को लेकर आगे की पूरी रणनीति और योजना तैयार कर ली गई है और अगले साल दिसंबर तक गंगा पूरी तरह से साफ हो जाएगी। नितिन गडकरी ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए मीडिया के समक्ष गंगा सफाई की अपनी पूरी रणनीति पेश की और बताया, कि गंगा के लिए अब तक अलग-अलग तरह की 195 परियोजनाओं को मंजूरी दी चुकी हैं जिन्हें पूरा करने के लिए 20 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।

गडकरी ने कहा, कि 19 मार्च तक तो 70 से 80 फ़ीसदी तक गंगा साफ़ हो जाएगी लेकिन गंगा पूरी तरह से दिसंबर 19 तक ही साफ हो पायेगी। गडकरी ने बताया, कि उन्होंने फंड जुटाने के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्री, सांसदों और विधायकों से 1 महीने की सैलरी देने का भी आग्रह किया है। ताकि स्वच्छ गंगा फंड में जमा राशि के बढ़ने से गंगा सफाई में योगदान हो सके।

इस दौरान उन्होंने ये भी कहा, कि देश के 70 शहर गंगा को प्रदूषित कर रहे हैं, जिसमें अकेले बिहार के 32 शहर शामिल हैं। देश की 1809 कंपनियां और फैक्ट्रियां गंगा को प्रदूषित कर रहीं हैं। लेकिन ऐसी फैक्ट्रियों के प्रदूषित पानी को रोकने और गंगा की सफाई के लिए 214 परियोजनाएं संचालित हैं। इनमें से 41 अब तक पूरी हो चुकी हैं। और तो और निर्मल और अविरल गंगा के लिए गंगा किनारे अब तक 10 हजार पौधे लगाए जा चुके हैं।

केन्द्रीय नदी विकास और गंगा पुनर्जीवन मंत्री नितिन गडकरी ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए कहा, कि जो 10 शहर गंगा नदी को सबसे ज्यादा प्रदूषित कर रहे हैं वे हैं- हरिद्वार, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, फर्रुखाबाद, पटना, भागलपुर, कोलकाता, हावड़ा और बल्ली।

उन्होंने बताया, बिहार के नमामि गंगे परियोजना से 32 शहरों के गंगा घाटों का कायाकल्प होगा। घाटों का पक्कीकरण, संपर्क पथ, कम्युनिटी टॉयलेट, चेंजिंग रूम और पार्क समेत अन्य तरह की सुविधाएं विकसित होंगी। नमामि गंगे के तहत विकसित की जाने वाली सभी सुविधाओं के निर्माण कार्य खर्च केंद्र सरकार उठाएगी।

 

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