कल 8 नवंबर 2017 है, अर्थात् नोटबंदी की सालगिरह। ऐसे में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा और विपक्षी दल आमने-सामने आ गए हैं। एक तरफ जहां मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्र की मोदी सरकार को घेरा और नोटबंदी को संगठित लूट करार दिया था। वहीं आज वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मनमोहन सिंह के साथ साथ कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। अरुण जेटली ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि कालेधन के खिलाफ एक्शन एक मॉरल स्टेप था, लूट तो वो थी जो 2जी, कॉमनवेल्थ गेम्स और कोल ब्लॉक आवंटन में हुई। मनमोहन सिंह जी को बस इतना करना है कि 2014 के पहले और बाद की वैश्विक विश्वसनीयता की तुलना कर लें। जेटली ने कहा कि इथिक्स के मामले में कांग्रेस और हमारा दृष्टिकोण एकदम अलग है।

नोटबंदी पर अरुण जेटली ने कहा कि नोटबंदी से काले धन पर लगाम लगी है और कैशलेस इकॉनमी को बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था की यथास्थिति को बदलना बहुत जरूरी था। किसी भी अर्थव्यवस्था में कैश बहुत ज्यादा नहीं होना चाहिए लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था में कैश जीडीपी का 12.2 फीसदी था। उन्होंने कहा कि नोटबंदी ने एजेंडा बदला है। बदली व्यवस्था में टैक्स चुकाने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। बड़े नोट बाजार में कम हैं। टेरर फंडिंग रुकी है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी एक ऐसा कदम है जिसके पीछे नैतिक वजह है। इसे लूट कहना गलत है। जो नैतिक तौर पर सही हो वो राजनीतिक तौर पर भी सही है।

बता दें कि इससे पहले मनमोहन सिंह ने नोटबंदी पर मोदी सरकार को घेरा था। उनका कहना था कि जीएसटी छोटे कारोबारियों के लिए बुरे सपना जैसा बन गया है। नोटबंदी की तरह ही जीएसटी को लेकर भी बार-बार नियम बदलने से दिक्कत बढ़ी है। इससे टैक्स टेरिरिज्म बढ़ा है। उन्होंने कहा था कि ग्लोबल कंडीशन अच्छा होने के बाद भी इसका फायदा नहीं उठा सके। 25 साल की ग्रोथ धीमी है। केंद्र सरकार ने लापरवाही बरती है। मनमोहन सिंह ने कहा था कि नोटबंदी लागू करने से पहले पीएम ने क्या एक बार भी गरीबों के बारे में सोचा? इसके फायदे के बारे में सोचा?

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