नदी किनारे पत्थरों का ढेर के बीच खड़ी ट्रैक्टर ट्रॉली। ये तस्वीरें कोटद्वार के लैंसडोन वन प्रभाग की हैं जहां मालन, खोह, सुखरौ और सिगड्डी सॉर्ट नदियों में इन दिनों अवैध खनन का कारोबार खूब फल फूल रहा है। शाम ढलते ही लगभग 300 से 400 टैक्टर ट्राली नदियों में खनन के लिए घुसे रहते है। ऐसा नहीं है कि अधिकारियों के पास इसकी जानकारी नहीं है। जबकि मानसून सत्र शुरु होने के बाद एक जुलाई से 30 सितंबर तक नदियों में खनन और चुगान पर पूरी तरह प्रतिबंध है। लेकिन, कोटद्वार वन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते अवैध खनन का कारोबार खूब फल फूल रहा है।

लैंसडोन वन प्रभाग के अधिकारियों ने साधी चुप्पी

बड़े पैमाने पर लगातार किये जा रहे अवैध खनन से नदियों की धारा के मुंह मोड़ने से लोगों की जिंदगियां भी खतरे में हैं। इन सभी बातों से बेपरवाह वन विभाग के अधिकारी चैन की नींद सो रहे है। जिससे सरकारी खजाने को रोजाना लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। ऐसा तब है जब इन्हीं रास्तों पर खनन माफिया और उनके वाहन दौड़ते रहते हैं और अधिकारियों का आना-जाना भी इधर से ही होता है।

मालन, खोह, सुखरौ और सिगड्डी सॉर्ट नदियों में अवैध खनन

बड़े पैमाने पर मालन, खोह, सुखरौ और सिगड्डी सॉर्ट नदियों में हो रहे अवैध खनन की सूचना मीडिया से मिलने पर कोटद्वार रेंजर आर पी पंत ने खानापूर्ति की। मानसून सत्र शुरु होने के बाद से अब तक सिर्फ दो टैक्टर ट्रॉली सीज की गई है। जबकि, मालन नदी के किनारे कई जगहों पर तो खनन माफियाओं ने रेता, बजरी और पत्थर के भारी भरकम स्टॉक रखे हुए हैं। ऐसे में रेंजर का ये दावा हवा-हवाई ही लगता है कि, अवैध खनन पर रोक लगाया जा सकेगा।

एपीएन ब्यूरो

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