अभी तक मुस्लिम महिलाओं के गाना गाने, सजने संवरने के लिए सिर के बाल कटवाने या आई-ब्रो बनवाने या ब्यूटी पार्लर जाने के लिए फतवा जारी किया गया था, लेकिन अब उनके खिलाफ एक और फतवा जारी किया गया है। इस बार फतवा मुस्लिम महिलाओं की तस्वीर सोशल मीडिया पर अपलोड करने को लेकर किया गया है। यह फतवा विश्वविख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुम उलूम देवबंद की ओर से जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि मुस्लिम महिलाओं को फेसबुक पर फोटो अपलोड करना नाजायज है। बता दें कि हाल ही में इसी संस्था ने मुस्लिम महिलाओं के बाल कटवाने या आई-ब्रो बनवाने के खिलाफ फतवा जारी किया था।

दारूम उलूम देवबंद ने फतवा जारी करके सोशल मीडिया पर मुस्लिम महिलाओं की फोटो अपलोड करने को नाजायज बताया है। दारूम उलूम देवबंद से एक शख्स ने यह सवाल किया था कि क्या फेसबुक, व्हाट्सअप एवं सोशल मीडिया पर महिलाओं की फोटो अपलोड करना जायज है। इसके जबाव में फतवा जारी करके यह कहा है कि मुस्लिम महिलाओं के फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड करना जायज नहीं है, क्योंकि इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता। इस संबंध में मुफ्ती तारिक कासमी का कहना है कि जब इस्लाम में बिना जरूरत के पुरूषों एवं महिलाओं के फोटो खिंचवाना ही जायज ना हो, तब सोशल मीडिया पर फोटो अपलोड करना कैसे जायज हो सकता है।

दारुल उलूम देवबंद में फतवों के लिए अलग से डिपार्टमेंट ऑनलाइन भी है। इस डिपार्टमेंट में लेटर भेजकर या आनलाइन फतवा लिया जा सकता है। लोग इस्लाम से जुड़े सवालों का जवाब भी इस डिपार्टमेंट से मांग सकते हैं।

यह पहली दफा नहीं है जब मुस्लिम औरतों के लिए फतवा जारी किया गया हो। इससे पहले अप्रैल 2017 में उलेमा-ए-हिंद के एक मौलाना ने एक विवादित बयान दिया था। मौलाना ने कहा था कि मुस्लिम महिलाओं का नौकरी करना इस्लाम के खिलाफ है।

तब उलेमा-ए-हिंद के प्रदेश अध्यक्ष और देवबंद के मौलाना नदीम उल वाजदी ने कहा था कि मुस्लिम महिलाओं को  नौकरी करने की बजाय उन्हें घर में रहकर चूल्हे चौके और बच्चों की देखभाल करना चाहिए। इतना ही नहीं उन्होंने उन मुस्लिम महिलाओं को सुझाव दिया था कि जो मुस्लिम महिलाएं काम कर रही हैं, उन्हें काम करते वक्त चेहरा ढक लेना चाहिए और फिर काम करना चाहिए।

जम्मू-कश्मीर में ऐसे ही भी कुछ मुस्लिम लड़कियों के खिलाफ फतवा जारी किया गया था, जिन्होंने अपना एक संगीत बैंड खोला था। उस दौरान कश्मीर के नेताओं ने यह कहकर फतावा जारी किया था कि इस्लाम में लड़कियों का गाना गाना नाजायज है।

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