बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताए, कबीरदास जी का यह दोहा इस घटना पर बिलकुल फिट बैठता है। दरअसल, कई दिग्गज नेताओं, लेखकों और कई महानुभावों ने एक घायल लड़की की तस्वीर को पोस्ट कर, उसे बीएचयू की लाठीचार्ज से जोड़ दिया और उसके बाद वो मोदी सरकार, योगी सरकार और प्रशासन को कोसना चालू कर दिए। लेकिन उनकी इस लापरवाही का पता जल्द ही लोगों को चल गया और उसके बाद लोगों ने उन्हें ट्रोल करना शुरू किया। इस प्रकरण के बाद कई दिग्गजों ने बाद में माफी मांगी और पोस्ट को डिलीट भी किया।

मीडिया की महत्ता और गरिमा हमेशा से ही रही है। हालांकि सोशल मीडिया के आने के बाद मीडिया की गरिमा को थोड़ा ठेस जरूर पहुंचा है लेकिन उसके बावजूद आज भी मीडिया अपने विश्वास को बनाई हुई है। लेकिन आज भी पढ़े-लिखे नेता और लेखक मीडिया का इस्तेमाल बड़े ही लापरवाही से करते हैं। कई अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए मीडिया का लाभ लेते हैं तो कई लोग पब्लिसिटी के लिए। लेकिन मीडिया में काम कर रहे लोगों की नजर इन सब पर रहती है और इसीलिए कोई भी मीडिया का गलत इस्तेमाल नहीं कर सकता।

कुछ ऐसा ही इस घटना के साथ भी हुआ। सोशल मीडिया के किसी पेज या ट्वीटर हैंडल पर कोई फोटो देखकर उसे अपने हैंडल से पोस्ट कर देना, लोगों की लापरवाही दिखाती है। बिना कुछ जानें, समझें विपक्षी पार्टी को घेरना एक बचकानी हरकत लगती है। अगर उस जाल में आप खुद फंस जाएं तो खतरा और ज्यादा हो जाता है। आप नेता संजय सिंह, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण जैसे लोग इसी लापरवाही के शिकार हुए हैं। हालांकि इन्होंने अपने इस कृत्य के लिए बाद में माफी भी मांगी।

Sanjay Singhprashant bhusanMirnal Pandey

इन दिनों बीएचयू में छेड़खानी के विरोध में छात्राओँ का आंदोलन चल रहा है। वहां पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है। इस आंदोलन में पुलिस ने छात्र-छात्राओं पर लाठीचार्ज किया जिससे कई छात्र-छात्राएं गंभीर रूप से घायल हो गए। इसी को लेकर सोशल मीडिया पर बीएचयू कुलपति, और बीजेपी की सरकार को घेरा जा रहा है। कई अराजक तत्वों ने भी इस आंदोलन का राजनीतिकरण करना शुरू कर दिया है। साथ ही कई लोगों ने हिंसा को भड़काने का काम भी किया है और वो लोग न छात्राओं के हित में है और न ही बीएचयू प्रशासन के हित में। एडीजी वाराणसी जोन विश्वजीत महापात्रा बताते हैं, अराजक तत्वों ने शहर का माहौल खराब करने के लिए कहीं की फोटो कहीं जोड़कर अफवाह फैलाने का प्रयास किया है। “बनारस के लंका थाने में साइबर सेल ने अज्ञातों के खिलाफ साइबर एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया है।” राजनीति के नाम पर हिंसा भड़काना या संवेदनशील मुद्दों पर झूठ फैलान सरासर गलत है। ऐसे लोगों पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।

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