देश-विदेश में दिमाग और व्यापार का खेल ऐसा चल रहा है कि अब बगावत होना लाजिमी है। हाल ये है कि फेसबुक, गूगल जैसे माध्यमों पर चोरी का आरोप लग रहा है। इस बार चोरी का आरोप गूगल पर लगा है। दरअसल, यूरोपीय यूनियन ने इंटरनेट सेवांए देने वाली कंपनी गूगल पर 4.3 अरब यूरो का जुर्माना लगाया है। खास बात यह है कि प्रतिस्पर्धा प्रावधानों के उल्लंघन को लेकर ईयू द्वारा लगाया गया यह अब तक का सबसे बड़ा जुर्माना है।  यह जुर्माना गैरकानूनी तरीके से ऐंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल अपने सर्च इंजन के फायदे के लिए करने के आरोप में लगाया है। यूरोपीय यूनियन के कमिश्नर मारग्रेथ वेस्टेजर ने कहा, ‘गूगल ने ऐंड्रॉयड का इस्तेमाल अपने सर्च इंजन को मजबूत करने के लिए किया है। यह यूरोपीय यूनियन के ऐंटीट्रस्ट नियमों के हिसाब से गैरकानूनी है।’

उन्होंने कहा, ‘गूगल को 90 दिनों के भीतर इसे बंद कर देना चाहिए वरना उसे अल्फाबेट से होने वाली आमदनी का 5 प्रतिशत रोज जुर्माने के तौर पर भरना पड़ेगा।’ एंड्रॉयड, फिलहाल सबसे पॉपुलर स्मार्टफोन ऑपरेटिंग सिस्टम है। यूरोपियन यूनियन की एग्जिक्यूटिव बॉडी यूरोपियन कमीशन ने कंपनी को आदेश दिया है कि वह 90 दिनों के अंदर इस अवैध व्यवहार को बंद करे. अन्यथा Google की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट के रोजाना के टर्नओवर के 5 फीसदी तक का अतिरिक्त चार्ज देना होगा।

इससे पहले गूगल पर खरीदारी के एक मामले में 2017 में यूरोपीय संघ रिकॉर्ड 2.4 अरब डॉलर का जुर्माना लगा चुका है। गूगल के प्रवक्ता अल वर्नी ने एक बयान में कहा कि कंपनी इस जुर्माने के खिलाफ अपील करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘ एंड्रायड ने लोगों के लिए अधिक मौके सृजित किए हैं, कम नहीं किए।’’

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