अगर मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो सफलता देर सवेर मिल ही जाती है। इस बात को बिहार के एक दिव्यांग दंपत्ति ने साबित कर दिखाया है। बेगूसराय के गढपुरा प्रखंड की रजौर पंचायत के सकरा गांव के एक दिव्यांग दंपति की। दिव्यांग दंपती रामविलास साह ने भीख के पैसे जमा कर शौचालय निर्माण करवा डाला। यह दंपति अब गांव के बाकी लोगों के लिए मिसाल बन गया है।

रामविलास साह दोनों आंखों से कुछ नहीं देख सकते हैं। लेकिन दिव्यांग होते हुए भी वे अपनी पत्नी और तीन बच्चों का भरण पोषण कर रहे हैं। राम विलास के दो बेटे और एक बेटी है। राम विलास की पत्नी भी दिव्यांग है। उसके दोनों पैर बेकार हैं।

देश के प्रधानमंत्री की ओर से स्वच्छ भारत मिशन के सपनों को साकार करने  के आह्वान के बाद बिहार में लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान चलाया जा रहा है, ताकि प्रदेश को शौच मुक्त प्रदेश बनाया जा सके। इसके तहत हर जिले के हर गांव में सरकारी अफसर पहुंच रहे हैं और लोगों को शौचालय बनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

इस योजना का असर रामविलास पर भी पड़ा और उसने घर पर शौचालय बनाने की ठान ली। रामविलास शाह जहां दोनों आंखों से दिव्यांग हैं, वहीं उसकी  पत्नी दोनों पैर से दिव्यांग है।  दोनों दिव्यांग पति-पत्नी ने यह सोच लिया कि शौचालय निर्माण कराना है। समस्तीपुर-खगड़िया रेलखंड के अलावा अन्य रेलखंडों पर ट्रेनों में गा-बजा कर लोगों से भीख मांगकर दोनों आंखों से दिव्यांग रामविलास साह अपना जीविकोपार्जन करता है। इससे उनके परिवार में तीन बच्चों एवं दोनों पति-पत्नी का गुजर बसर चलता है। तकलीफ करते हुए इन पैसों को एकत्रित कर दोनों पति-पत्नी ने स्वयं मेहनत कर शौचालय निर्माण कार्य शुरू किया है।

दिव्यांग दंपती रामविलास साह ने बताया कि सरकार द्वारा अंत्योदय कार्ड के माध्यम से डीलरों के यहां से राशन-केरोसिन मिलता है। डीलर के यहां राशन उठाव के लिए जाने पर बताया गया कि जब तक शौचालय निर्माण नहीं होगा, तब तक उन्हें अनाज नहीं मिलेगा। इस फरमान को सुनकर दिव्यांग पति-पत्नी चिंतित हो गये और दोनों  भीख मांग कर लाये कुछ पैसों को इकट्ठा कर शौचालय निर्माण कार्य में जुट गये।

अपने पैतृक संपत्ति में 12 धूर जमीन पिता के नाम से रहने पर चार भाइयों में बंटवारा होने पर तीन धूर जमीन ही उसे नसीब हुई। जिस जमीन पर वह अपने परिवार के साथ जीवन यापन कर रहा है। रामविलास साह की पत्नी प्रमिला देवी ने बताया कि 2010 में ही गांव के ही कुछ बिचौलिये तबके के लोगों द्वारा इंदिरा आवास के नाम पर हमसे रिश्वत के तौर पर कुछ रुपये की मांग की गयी थी, लेकिन मेरे पास भीख मांग कर खाने के सिवा कुछ था नहीं, इसलिए नहीं दे सके। नतीजा यह हुआ कि उनके नाम के इंदिरा आवास की राशि बिचौलिये खा गए।

दिव्यांग दंपती द्वारा शौचालय निर्माण की ऐसी खबर आने के साथ ही, आसपास के लोगों में भी शौचालय निर्माण के प्रति उत्साह जागा है। अब बडी संख्या में लोग अपने-अपने घरों में शौचालय बनाने में जुट गए हैं।

ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन

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