रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने राफेल सौदे के बहाने न केवल उन्हें बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी अपशब्दों का इस्तेमाल कर उन्हें अपमानित किया है और इस पर माफी मांगने की बजाय संसद तथा देश को भ्रमित किया जा रहा है। सीतारमण ने लोकसभा में राफेल मुद्दे पर दो दिन चली चर्चा का जवाब देते हुए शुक्रवार को कहा कि इस विमान सौदे में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हुई और कांग्रेस राजनीतिक फायदे के लिए झूठ की बुनियाद पर गलत तरीके से आरोप लगाकर उन्हें प्रचारित कर रही है। उन्होंने कहा कि राफेल मुद्दे को बेवहज तूल देने और इसको लेकर प्रधानमंत्री तथा रक्षा मंत्री को अपशब्द कहने वाली कांग्रेस को समझ लेना चाहिए कि यह मुद्दा उसे महंगा पड़ने वाला है।

उन्होंने कहा कि बोफोर्स मुद्दे ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर किया था लेकिन राफेल राष्ट्रहित में लिया गया निर्णय है इसलिए यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता में वापस लायेगा। रक्षा मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार राफेल खरीदने के पक्ष में ही नहीं थी इसलिए तत्कालीन रक्षा मंत्री ने संसद भवन परिसर में छह फरवरी 2014 को पत्रकारों से कहा था कि विमानों के लिए पैसा कहां से आएगा। यही वजह रही कि कारगिल युद्ध के बाद से जिन राफेल जैसे विमानों की जरूरत महसूस की जा रही थी, उस पर कांग्रेस सरकार ने कोई ठोस निर्णय नहीं लिया।

रक्षा मंत्री ने राफेल विमानों की खरीद के लिए किसी प्रक्रिया को नहीं अपनाने और प्रधानमंत्री पर विचार-विमर्श किये बिना सौदा तय करने के आरोप का जवाब देते हुए कहा कि इन विमानों की खरीद को अंतिम रूप देने से पहले इस मुद्दे पर 74 बैठकें हुई हैं और 2015 तथा 2016 के दौरान इस खरीद से जुड़ी प्रक्रिया पर लगातार बैठकों का दौर चलता रहा है। उन्होंने खरीद में जल्दबाजी के कांग्रेस के आरोपों को खारिज किया और कहा कि वह हर मुद्दे पर सिर्फ राजनीति करती है और देश की सुरक्षा से उसे लेना देना नहीं है।

विमानों की कीमतों को लेकर कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि उसके नेता संप्रग के समय विमानों की कीमत का प्रस्ताव 520 करोड़ रुपये होने का दावा कर रहे हैं लेकिन इसका उल्लेख किसी दस्तावेज में नहीं किया गया है। भगवान जाने कांग्रेस नेताओं को यह आंकड़ा कहां से मिला है।

कांग्रेस नेतृत्व पर राफेल विमान की कीमतों को लेकर ठीक तरह से गृह कार्य नहीं करने का आरोप लगाते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि इस मुद्दे पर कांग्रेस के नेता भ्रमित हैं। कांग्रेस नेता जितनी बार यह मुद्दा उठा रहे हैं उतनी बार उनकी कीमत बदल रही है। उन्होंने कहा कि 29 जनवरी को जन आक्राेश रैली में इस विमान की कीमत 700 करोड़ रुपये बतायी गयी। फिर 28 जुलाई को इनकी कीमत 520 करोड़ रुपये बतायी गयी। छत्तीसगढ के रायपुर में एक चुनावी रैली के दौरान इन विमानों की कीमत 540 करोड़ रुपए बतायी गयी और फिर हैदराबाद में इनकी कीमत कुछ और बतायी गयी।

उन्होंने राफेल सौदे को देश के हित में लिया गया मोदी सरकार का अहम फैसला बताया और कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। मोदी सरकार का यह फैसला पड़ोसी देशों की सामरिक गतिविधियों को देखते हुए आवश्यक था।

-साभार, ईएनसी टाईम्स

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