महाराष्ट्र राज्य कोरोना की सबसे अधिक मार झेल रहा है। यहां पर 24 घंटे के भीतर 60 हजार से अधिक नए मामले सामने आए हैं। वहीं कई लोगों की मौत हो गई है। लेकिन इस महाराष्ट्र में एक गांव ऐसा है जहां पर कोरोना पहुंच नहीं पा रहा है। इस गांव के लोग कोरोना को लेकर इतने जागरुक है कि, कोरोना महामारी गांव में अभी तक नहीं फैली है। हम बात कर रहे हैं किसानों की आत्महत्या को लेकर सबसे अधिक चर्चा में रहने वाला गांव मराठवाड़ा की।
मराठवाड़ा के कई गांव ऐसे हैं, जहां स्थानीय लोगों और ग्रामवासियों ने ही स्वनियंत्रण प्रणाली अपनाकर कोरोना को गांव से दूर रखने में सफल रहे हैं। इस सफलता में बड़ी भूमिका गांव के सरपंच, ग्राम सेवक, ग्रामवासी, खासतौर से गांव के युवक निभा रहे हैं। औरंगाबाद मराठवाड़ा के बड़े शहरों में गिना जाता है। वहां की स्थिति शुरू से विकट रही है।
गांव और शहर की आबादी को मिलाकर इस गांव में अबतक 1543 लोगों की मौत हो चुकी है। पर इसी गांव के 308 गांव ने स्थानीय स्तर पर सख्ती बरतकर कोरोना से बचने में कामयाब रहे हैं। फुलबी तालुका का डेढ़ हजार आबादी वाले वाहेगांव में बिना मास्क लगाए कोई भी अपने घर से बाहर नहीं निकल सकता। गांव के सभी बुजुर्गों को वैक्सीन लगवाने का लक्ष्य भी यहां पूरा किया जा चुका है। इस सख्ती के कारण ही अब तक यह गांव कोरोना से अछूता रहा है।
बता दें कि, नांदेड़ जनपद के कणकवाडी गांव के युवकों ने गांव के प्रवेशद्वार पर बारी-बारी से अपनी ड्यूटी लगाकर किसी भी संदिग्ध संक्रमित के गांव में प्रवेश पर रोक लगा रखी है। उस्मानाबाद के जायफल गांव में किसी भी हाटस्पाट से आने वाले व्यक्ति की सूचना तुरंत प्रशासन को दी जाती है। लातूर के कई गांवों ने बाहर से आनेवाले लोगों को छह-सात दिन तक गांव के बाहर आइसोलेशन में रखने एवं गांव के अंदर घर-घर जाकर लोगों की जांच करने का अभियान चलाकर खुद को कोरोना के कहर से बचा रखा है।