राजस्थान में वर्ष 2018 सत्ता में बदलाव से कांग्रेस एवं तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने से अशोक गहलोत के लिए भाग्यशाली रहा वहीं विवादित बिल समाप्त एवं भारत बंद, पद्मावत फिल्म पर विवाद एवं फिल्म अभिनेता सलमान खान को सजा तथा अन्य फैसले एवं घटनाएं बीतने वाले वर्ष की प्रमुख यादें रही। राजस्थान में वर्ष 2013 के चुनाव में केवल 21 सीटें जीतने वाली कांग्रेस ने गत सात दिसम्बर को हुए पन्द्रहवीं विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराकर फिर सत्ता में आई और पिछले विधानसभा चुनावों में करीब पच्चीस वर्ष में एक बार कांग्रेस, एक बार भाजपा की सत्ता की बनी परम्परा को बरकरार रखते हुए फिर से राज्य में अपना राजनीतिक प्रभुत्व साबित किया। चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं भाजपा के अन्य नेता इस बार इस परम्परा को तोड़ने का दावा किया था। इस चुनाव में कांग्रेस ने 99 सीटें जीती और एक सीट उसके सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकदल ने जीती जबकि चौदहवीं विधानसभा चुनाव में 163 सीटें जीतकर भारी बहुमत के साथ सत्ता में आई भाजपा केवल 73 सीटों पर सिमट गई।
आजादी के बाद से वर्ष 1977 में जनता पार्टी को छोड़कर राज्य में कांग्रेस एवं भाजपा की सरकारें रहनेसे तीसरे विकल्प की तलाश कर रहे नेताओं के लिए भी वर्ष 2018 भाग्यशाली रहा और तीसरा मोर्चा के गठन को लेकर संघर्ष कर रहे राष्ट्रीय लोकतांत्रिकपार्टी (रालोपा) बनाने वाले हनुमान बेनवाल की रालोपा अपने पहले चुनाव में ही तीन सीटें जीतकर अपनी उपस्थिति दर्ज की। रालोपा चुनाव में प्रमुख दल कांग्रेस एवं भाजपा उम्मीदवारों के लिए कई स्थानों पर समस्या भी बनी। इसी तरह आदिवासियों के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही डूंगरपुर में भारतीय आदिवासी पार्टी (बीटीपी) ने भी दो सीटे जीतकर अपना राजनीतिक प्रभुत्व दिखाया। इसी तरह बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी छह सीटे जीतकर अपना राजनीतिक प्रभुत्व को बढ़ाया। वर्ष के शुरु में 29 जनवरी को हुए दो लोकसभा एवं एक विधानसभा उपचुनाव में भी कांग्रेस ने जीत दर्ज की। इसमें अजमेर लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार डा़ रघु शर्मा, अलवर लोकसभा उपचुनाव में डा़ कर्ण सिंह यादव तथा भीलवाड़ा जिले के माण्डलगढ़ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार विवेक धाकड़ विजयी रहे।
कांग्रेस के लिए प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव एवं लोकसभा एवं विधानसभा उपचुनाव के लिए बीतने वाला वर्ष भाग्यशाली रहा लेकिन इससे पहले पन्द्रह मार्च को हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस का एक भी उम्मीदवार के नहीं जीत पाने से राज्य की सभी दस सीटों पर भाजपा का कब्जा हो गया और इस मामले में भाजपा के लिए यह साल भाग्यशाली साबित हुआ और यह पहला मौका है कि राज्यसभा की सभी दस सीटों पर एक ही पार्टी का प्रतिनिधित्व हैं। पन्द्रह मार्च तीन सीटों के लिए हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार भूपेन्द्र सिंह यादव, डा़ किरोड़ी लाल मीणा एवं मदन लाल सैनी सांसद चुने गये थे।
वर्ष 2018 किसानों के लिए भी भाग्यशाली रहा जिसमें पहले भाजपा सरकार ने अपने बजट में सहकारी बैंक के किसानों के पचास हजार रुपए तक ऋण माफ की घोषणा की तथा इसके बाद कांग्रेस सरकार ने अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के तीसरे दिन 19 दिसम्बर को वायदे के अनुसार किसानों के कर्ज माफी की घोषणा कर दी।
भाजपा सरकार के दण्ड विधियां राजस्थान संशोधन विधेयक पर विवाद होने तथा विधेयक के खिलाफ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के न्यायालय में याचिकाएं दायर कर देने और लोगों के विरोध के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को गत 19 फरवरी को विधानसभा में इस विधेयक को वापस लेने की घोषणा की। इस विधेयक का आम आदमी के अधिकारों को खतरे में डालने तथा भ्रष्ट अधिकारियों एवं नेताओं को संरक्षण देने वाला बताते हुए विरोध किया गया था। इसी तरह फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली की पद्मावत फिल्म को लेकर भी राज्य में राजपूत समाज ने विरोध किया और इस कारण राज्य सरकार ने प्रदेश में इसके प्रदर्शन पर रोक लगा दी थी। विरोध के कारण यह फिल्म अन्य कई राज्यों में भी प्रदर्शित नहीं हो सकी। हालांकि बाद में न्यायालय ने इसके प्रदर्शन पर लगी रोक को हटा दिया था।
वर्ष 2018 में राज्य की भाजपा सरकार मार्च महीने में बारह से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म मामले के आरोपी को फांसी की सजा के प्रावधान का विधेयक लाई और इस मामले में कड़ी सजा का प्रावधान किया गया। इस तरह मध्यप्रदेश के बाद राजस्थान इस मामले में दूसरा राज्य बन गया। इसी तरह बच्चियों से जुड़े संगीन अपराध में आरोपियों के खिलाफ न्याय प्रक्रिया को तेज करने के लिए तेरह जुलाई को हर जिले में पॉक्सो कोर्ट खोले जाने की घोषणा की गई। जयपुर एवं जोधपुर में दो-दो सहित प्रदेश में 35 पॉक्सो कोर्ट खोलने का निर्णय लिया गया।
गत दो अप्रैल को दलित संगठनों का भारत बंद के तहत राजस्थान भी बंद रहा और इस दौरान राजधानी जयपुर सहित अन्य कई जगहों पर उपद्रव हुए और जनजीवन प्रभावित हुआ। इसके बाद दस अप्रैल को सोशल मीडिया के जरिए फिर भारत बंद रहा। इसके पश्चात छह सितंबर को फिर भारत बंद के तहत राजस्थान बंद रहा। इस बार अनुसूचित जाति एवं जनजाति कानून में संशोधन के खिलाफ सवर्णों ने भारत बंद कराया। इसके बाद कांग्रेस ने दस सितंबर को महंगाई के विरोध में भारत बंद कराया, जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ।