यूपी में गर्मी ने दस्तक दे दी है इसलिए अब बिजली की समस्या बढ़ने वाली है.. ऐसे में सरकार ने उत्तर प्रदेश के महानगरों में बिजली वितरण का काम निजी हाथों में सौंपने का फैसला किया है.. सरकार का तर्क है कि इससे कटिया चोरी नहीं होगी और लोगों को काफी सुविधा होगी.. वहीं सरकार के इस फैसले पर विपक्ष सवाल उठा रहा है…योगी सरकार ने राजधानी लखनऊ सहित मेरठ, मुरादाबाद, वाराणसी और गोरखपुर की बिजली वितरण व्यवस्था निजी हाथों में सौंपने का फैसला कर लिया है…

मायावती और अखिलेश सरकार ने भी बिजली वितरण का काम निजी हाथों में सौंपा था.. जनता की जेबें खाली होती रही है और कंपनियां जेबें भरती रही…आरोप है कि बिजली वितरण का काम निजी हाथों में सौंपने के पीछे कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाना है…चौबीस घंटे बिजली देने का वादा कर सत्ता में आई योगी सरकार अब पुराने सरकारों के नक्शे कदम पर चल रही है… पहले की सरकारों ने निजी कंपनियों को बिजली सप्लाई का जिम्मा दिया था तब बीजेपी सवाल उठा रही थी… अब योगी सरकार ने महानगरों में बिजली सप्लाई की जिम्मेदारी दी है…

योगी कैबिनेट ने लखनऊ सहित पांच महानगरों गोरखपुर, वाराणसी, मुरादाबाद, मेरठ में बिजली वितरण का काम निजी हाथों में सौंपने का फैसला ले लिया है…ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा की दलील है कि ये जनहित में उठाया गया कदम है. उनका कहना है कि इसके जरिए शिकायत मिलने पर तत्काल कार्रवाई हो सकेगी, बिजली चोरों पर जल्द ही नकेल कसी जाएगी…कटिया चोरों पर भी लगाम लगेगी…

पहले की सरकार को कोसने वाली बीजेपी सरकार अब वही कर रही है जो अखिलेश और मायावती की सरकार किया करती थी… मायाराज में आगरा में निजी कंपनी टॉरेंट को बिजली वितरण का काम देने से लाइन लॉस काफी कम हुआ था… उपभोक्ताओँ को बेहतर सुविधाएं मिलीं… अब योगी महानगरों को निजी कंपनियों के हाथों सौंप रहे हैं.. सरकार के इस फैसले से बिजली कर्मचारी संगठन सरकार के नीयत पर सवाल उठा रहे हैं…  कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि मार्च 2012 तक 232.63 करोड़ का नुकसान हुआ था.. इन कंपनियों का ऑडिट भी नहीं हो पा रहा है ताकि काले कारोबार पर पर्दा डाला जा सके…

बिजली विभाग कंगाल हो रहा है और कंपनियां मालामाल… साल 2000 में बिजली विभाग का घाटा 453 करोड रु  था, जो अब बढ़कर 72 हजार करोड रु हो गया. इसकी भरपाई के नाम पर कई बार उपभोक्ताओँ की जेबों पर डाका डाला गया.. निजी कंपनियों को फाएदा पहुंचाने के लिए पहले की सरकारें जिम्मेदार है.. अब योगी सरकार उसी राह पर चल पड़ी है… सरकार के इस फैसले से विपक्षी दलों में आक्रोश है… विधानसभा में भी इस मुद्दे को लेकर बवाल मचाया गया…

बिजली कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि मायाराज हो, अखिलेश शासन हो या फिर मौजूदा सरकार हर दौर में निजी कंपनियों पर सरकार मेहरबान रही है…  सवाल उठने के बावजूद निजी कंपनियों से बिजली की खरीद जारी रखी गई. जानकार मानते हैं कि चंद घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी बिजलीघरों को या तो कमजोर कर दिया गया या बंद कर दिया गया. अब बिजली वितरण का काम निजी हाथों में सौंपकर बिजली विभाग को कारपोरेट जगत के हाथों में सौंपा जा रहा है. इसके विरोध में कर्मचारी संगठन लामबंद हो गए हैं…

ब्यूरो रिपोर्ट एपीएन

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